Saturday, September 23, 2023
ज्ञान
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-"बौआ!
समय-साल ठीक नै छैक,
बरखामे बेसी काल
बाहरमे ठाढ़ रहब उचित नहि,
अन्दर आबि जाउ,
अहाँ सर्दियाह छी,
सर्दी-खोंखी-बोखारसँ
आइ-काल्हि
बाँचिक' रहक चाही ।"
-" पापाजी!
अहाँ व्यर्थमे
चिन्ता करैत रहैत छी;
हम आब कोनो बच्चा छी जे
अहाँ सदिखन टोकैत
रहैत छी?
नीक-अधलाहक आब
हमरा बढियाँ ज्ञान अछि,
अहाँक हरदम टोकब
हमरा नीक नहि लगैत अछि ।"
-"बौआ!
बापक आगू सन्तान
सबदिन बच्चे रहैत छैक ।"
-"ठीक छैक,
बुझि गेलिऐक;
आब जाउ
अप्पन काज देखू,
हम्मर चिन्ता बेसी नै करू ।"
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जखन बेटा नहि मानैत छन्हि तँ
बुड़हा पाँच बरखक पोता
चिन्टू के कोरामे ल' क'
बाहरमे आबिक'
ठाढ़ भ' जाइत छथि ।
बेटा दौड़िक' आबैत अछि आ
चिन्टूके दादाजीक कोरसँ
झपटिक' अन्दर ल' जाइत अछि-
"बाबूजी!
अहाँके किछुओ ज्ञान नहि अछि,
चिन्टू सर्दियाह छैक,
भिजलासँ ओकरा
सर्दी-खाँसी-बोखार भ' सकैत छैक!"
-"बौआ!
तों ठीके कहैत छह;
हमरा किछुओ
ज्ञान नहि अछि!!!!"
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