Saturday, September 23, 2023

ज्ञान

*********** -"बौआ! समय-साल ठीक नै छैक, बरखामे बेसी काल बाहरमे ठाढ़ रहब उचित नहि, अन्दर आबि जाउ, अहाँ सर्दियाह छी, सर्दी-खोंखी-बोखारसँ आइ-काल्हि बाँचिक' रहक चाही ।" -" पापाजी! अहाँ व्यर्थमे चिन्ता करैत रहैत छी; हम आब कोनो बच्चा छी जे अहाँ सदिखन टोकैत रहैत छी? नीक-अधलाहक आब हमरा बढियाँ ज्ञान अछि, अहाँक हरदम टोकब हमरा नीक नहि लगैत अछि ।" -"बौआ! बापक आगू सन्तान सबदिन बच्चे रहैत छैक ।" -"ठीक छैक, बुझि गेलिऐक; आब जाउ अप्पन काज देखू, हम्मर चिन्ता बेसी नै करू ।" ******* जखन बेटा नहि मानैत छन्हि तँ बुड़हा पाँच बरखक पोता चिन्टू के कोरामे ल' क' बाहरमे आबिक' ठाढ़ भ' जाइत छथि । बेटा दौड़िक' आबैत अछि आ चिन्टूके दादाजीक कोरसँ झपटिक' अन्दर ल' जाइत अछि- "बाबूजी! अहाँके किछुओ ज्ञान नहि अछि, चिन्टू सर्दियाह छैक, भिजलासँ ओकरा सर्दी-खाँसी-बोखार भ' सकैत छैक!" -"बौआ! तों ठीके कहैत छह; हमरा किछुओ ज्ञान नहि अछि!!!!" *****************************

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