Friday, September 22, 2023

अनकर झगड़ामे नै पडू

किछु लोकक आदति होइछ जे अनावश्यक दू लोकक गप्प मे कूदि पड़त, बिना पुछनहिं ओकर झगड़ा फ़रियाब' मे लागि जायत, कहियोकाल लोकक ई आदति बड्ड महग पड़ि जाइछ । सद्य: आँखिक देखल बात कहै छी- लुचबा आ सुटबा दू भाइ अछि, दुनू महालंठ, बेसी काल गामे पर रहै अछि, कहियो काल नोकरी करक लेल परदेसो चलि जाइछ । जावत्काल गाम पर रहैछ भोर स' ल'क' साँझ तक कुस्तम-कुस्ता करिते रहैछ, फेर तुरंत सलाहो भ' जाइछ आ संगें-संग पठशल्ला दिस टहल' विदा होइछ । टोला-पड़ोसिया के कोनो मतलब नहिं, के डेली ओकरा सबहक झगड़ा मे पड़य, ओकरा दुनूक फ्रेंडली-फाइट देखिक' चुपचाप सब मुसका दैछ । आइ मक्खन बाबूक समधि आयल छलथिन्ह, हुनका दुनू भाइक झगड़ा देखल नै गेलनि, कोना आँखिक सोझाँ दुनू के लड़' दित'थिन्ह ! जाक' छोड़ाब' लगलथिन्ह । एखन शुरुए भेल छलैक, कनिको गर्मी नै झड़ल छलैक । दुनू धाकड़ हिनके पर अपन-अपन गर्मी उतार' लागल । से तावत्काल तक गर्मी उतारैत रहल जावत्काल तक ओ बेहोश नै भ' गेला । अस्पताल मे होश एलनि त' कान पकड़ला जे आब दू आदमीक झगड़ा मे नै पड़ब, टाँग-हाथ सब मे प्लास्टर कएल गेलनि जे एक मासक बादे कटलनि । ************************

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