
Friday, September 22, 2023
अनकर झगड़ामे नै पडू
किछु लोकक
आदति होइछ जे
अनावश्यक
दू लोकक गप्प मे
कूदि पड़त,
बिना पुछनहिं
ओकर झगड़ा फ़रियाब' मे
लागि जायत,
कहियोकाल लोकक ई आदति
बड्ड महग पड़ि जाइछ ।
सद्य: आँखिक देखल
बात कहै छी-
लुचबा आ सुटबा दू भाइ अछि,
दुनू महालंठ,
बेसी काल गामे पर रहै अछि,
कहियो काल नोकरी करक लेल
परदेसो चलि जाइछ ।
जावत्काल गाम पर रहैछ
भोर स' ल'क' साँझ तक
कुस्तम-कुस्ता करिते रहैछ,
फेर तुरंत सलाहो भ' जाइछ आ
संगें-संग पठशल्ला दिस
टहल' विदा होइछ ।
टोला-पड़ोसिया के
कोनो मतलब नहिं,
के डेली ओकरा सबहक
झगड़ा मे पड़य,
ओकरा दुनूक फ्रेंडली-फाइट
देखिक' चुपचाप सब मुसका दैछ ।
आइ मक्खन बाबूक
समधि आयल छलथिन्ह,
हुनका दुनू भाइक झगड़ा
देखल नै गेलनि,
कोना आँखिक सोझाँ
दुनू के लड़' दित'थिन्ह !
जाक' छोड़ाब' लगलथिन्ह ।
एखन शुरुए भेल छलैक,
कनिको गर्मी नै झड़ल छलैक ।
दुनू धाकड़ हिनके पर
अपन-अपन गर्मी उतार' लागल ।
से तावत्काल तक
गर्मी उतारैत रहल
जावत्काल तक ओ
बेहोश नै भ' गेला ।
अस्पताल मे होश एलनि त'
कान पकड़ला जे
आब दू आदमीक झगड़ा मे
नै पड़ब,
टाँग-हाथ सब मे प्लास्टर
कएल गेलनि जे
एक मासक बादे कटलनि ।
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