Sunday, September 3, 2023

चरित्र

छुइत जँ नै ज्ञानसँ तँ, मनुज वा पशुमे की अन्तर! शील गुणसँ रहित जँ तँ, उभयमे बाजू की अन्तर!! दीर्घतम रहितहुँ मुदा जँ, पत्र-पुष्प विहीन तरुवर! लैछ की आश्रय तकर पशु- मनुज वा कोनो गगनचर!! वृक्षके शोभा अतुल जँ, फूल-फल-आ पात घनगर ! चरित-सद्गुण पत्र-पुष्पें- मनुज-तरु हो महासुन्दर!! ****************************

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