Wednesday, May 24, 2023

धोखेबाज

मनुखताके बिसरि, धोखा जगतके क्यो द' सकै अछि । मुदा अतिशय नीच रहितो स्वयंके नै ठकि सकै अछि ।। दुष्ट धोखेबाज बदतर हिंस्र पशुओसँ रहै अछि । हिंस्रसँ क्षति देह, धोखेबाज क्षति मोनो करै अछि ।। एते मिनती ईशसँ जे, जदपि कतबो दैन्य आबय । भले प्राणोपर हो खतरा, मोनमे धोखा ने आबय ।। *************************

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