Wednesday, May 24, 2023

हम रिक्शा चलौलहुँ

बाल्यकालक शरारतिक एकटा घटना याद पड़ि गेल अछि, मोन भ' रहल अछि जे अहूँ सबके सुना दी । वर्षाकाल छलैक । सड़कक कातमे खत्ता सबमे पाइन भरल छलैक । गर्मीयों खूब पड़ैत छलैक । हमसब आठवाँ किलासमे कलुआही हाइ इस्कूलमे पड़हैत छलहुँ । मॉर्निंग इस्कूल छलैक । हम आ हमर चारिटा संगी एगारह बजे पूर्वाह्नमे छुट्टी भेलाक बाद पैदल गप्प-सप्प करैत आबि रहल छलहुँ । भलनी मियाँटोल बितलाक बाद बरही टोलसँ पहिले एकटा पुलिया छलैक । पुलिया लग एकटा रिक्शा ठाढ़ छलैक । रिक्शा चालक कतहु विश्राम क' रहल छल । हम पाँचो संगी आँखिएसँ किछु बात कएलहुँ आ रिक्शा पर बैसि गेलहुँ, हम चालकक स्थानपर बैसलहुँ । कनेक ढलान छलैक, पैडिल मारैत देरी रिक्शा दौड़ि पड़लैक । अरे, ई की! रिक्शा पूर्ण वेगसँ दौड़िक' बगलके खत्तामे छलाँग मारलक । पाँचो संगी थालमे धड़ामसँ कुदलहुँ, सँजोग कहियौ जे ककरो खरोचो नहि लागल, मात्र थाल-कादो सौँसे देहमे भरि गेल । सब गोटे भल्ली पोखरिमे आबि देह-हाथ नीकसँ धोक' स्नान कएलहुँ, भिजले वस्त्र पहिरि गाम अयलहुँ । पाँचो संगी सप्पत खेलहुँ जे ई बात गुप्ते राखब, ककरो पता नहि चलबाक चाही । एखन तक ई बात गुप्ते छल, मुदा आइ हम अपन प्रतिज्ञा भंग क' लेलहुँ, अहाँसबके सब बात बता देलहुँ । रिक्शाचालकक की प्रतिक्रिया भेल हेतैक से बात अपने लोकनि पर छोड़ैत छी !!!??

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