Wednesday, May 24, 2023

पाकिटमार

पाकिटमार ************* बात ताहिकालक थिक जखन बी.आइ. टी. सिन्दरीमे पड़हैत छलहुँ('74-'78 बैच) । गाम(करमौली, मधुबनी)सँ सिन्दरी जायब-आयब बहुत दुरूह छल, एखनुक शारीरिक स्थितिमे तै समयक कष्ट सोचिएक' देह सिहरि उठैछ । गामसँ पैदल/रिक्शासँ कलुआही, फेर बससँ दड़िभंगा, ओत'सँ ट्रेनसँ समस्तीपुर, समस्तीपुरमे बहुत प्रतीक्षा कएलाक बाद नॉर्थबिहार/मिथिलाएक्सप्रेससँ आसनसोल, ओत'सँ कोनो दोसर ट्रेनसँ धनबाद, तकरबाद मटाडोर/ट्रेकरसँ सिन्दरी । यात्रा कतेक दुरूह छल से अही बातसँ बुझा जायत जे कतेको बेर नॉर्थबिहार/मिथिला एक्सप्रेसमे रातिभरि औंघाइत ठाढ़े यात्रा कर' पड़ल छल । गाम-देहातक गरीब घरक छात्र दड़िभंगासँ आगाँ कहियो एसगर गेलो नै छलहुँ; रिजर्वेशन की/केना होइत छैक से बुझलो नै छल । दड़िभंगासँ समस्तीपुर पसिंजर ट्रेनसँ जाइत छलहुँ, समस्तीपुरमे नार्थबिहार/मिथिला पकड़ैत छलहुँ । दरिभंगा-समस्तीपुर पसिंजरमे सेहो बड्ड भीड़ रहैत छलैक, चड़हैत-उतरैत कालमे पसेना छूटि जाइत छल । समस्तीपुरमे पसिंजरसँ उतरैतकाल रगड़ा-रगड़ीमे एकटा पाकिटमार जेबीसँ रुपैया निकालि लेलक । यद्यपि रुपैया मात्र एके-डेढ़सौ छल मुदा छात्रजीवनक एक-एक पाइ बहुमूल्य होइछ, ताहूमे अभावग्रस्त गरीब किसानक पुत्रक तँ कहले की जाय! पाकिटमार जहाँ रुपैया निकाललक कि हम ओकर गट्टा कसिक' पकड़लहुँ । पाकिटमार दुब्बर-पातर छल । भागक लेल कतबो छटपटायल मुदा गट्टा नै छोड़ा पौलक । हम ओकरा पकड़ने-पकड़ने जी.आर.पी. सिपाहीलग गेलहुँ । सिपाही ओकरा लॉकअपमे बन्द क' देलकैक आ हमरा बगलेमे राखल एकटा बेंचपर बैसा देलक । कहलक जे पाँच मिनटमे कागत ल' क' आबैत छी, एफ.आइ.आर. करबैक । लॉकअप लग बड्ड कम इजोत छलैक । एसगरे बैसल डरो लागय । तिन-चारिटा छौंड़ा(पाकिटमारक संगीए छल हेतैक) अयलैक आ ओकरा पुछलकैक - "की भेलौक भाइ?" पाकिटमार हमरा दिस देखाक' ओकरा सबके सब बात कहलकैक । ओकर चारू संगी हमरा दिस गुड़ड़लक आ आगाँ बढ़ि गेल । हमर देह सिहड़ि उठल । अंदरसँ पाकिटमार हमरा गाड़ि पड़हैत धमकौलक- "आब' दही हमरा सरदारके, तखन तोहर मजा चखेबौ ।" अन्हार सुनसान स्थान! एसगरे हम, अन्दरसँ भयभीत भ' गेलहुँ । सिपाही हमरा पाँच मिनट कहिक' गेल से आधा घंटाक बादो कोनो अता-पता नै । हमर अगिला ट्रेनक समय भ' गेल छल, पुल पार क' क' दोसर प्लेटफार्मपर जयबाक छल, पाकिटमार दिस बिना तकनहिं इएहले-उएहले पड़ेलहुँ । "जान बचय तँ लाखो पाय"! पुल पार क' क' दोसर प्लेटफार्म पर आबि गेलहुँ । नार्थबिहार आबि चुकल छल, दौड़िए क' चढ़ि गेलहुँ आ एकटा कोनमे भगवानके स्मरण करैत दुबकि क' बैसि गेलहुँ । जानमे जान आयल! ओकर बादसँ जहिया कहियो समस्तीपुर टीशनपर उतरैत छलहुँ, चकुआइते रहैत छलहुँ जे कहीं ओइ पाकिटमारक ने दर्शन भ' जाय!!! ******************************************

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