Wednesday, December 21, 2022

रामक महिमा

अगम छथि राघव अगोचर पार क्यो नहि पा सकल, नामके महिमा मुनीशो- गण ने वरनन क' सकल । तुच्छतम हम जीवगण किन्नहुँ ने सक्षम भ' सकब, नाम लइतहि पातकी- शतकोटि भवसागर तरल ।। रामकेर ध्यानेमे डूबल अहर्निश सज्जन जे रहता, ताहि साधुक साधनाके कियोने बाधित क' सकता । जतय रामक भक्त तत्तहि सिद्ध-मुनि सुरगण रहै छथि, ततहि हरि हर ब्रह्म सेहो विराजित सदिखन रहै छथि ।।

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