Sunday, August 21, 2022

धृतराष्ट्र

सबठाँ धृतराष्ट्रे भरल, न्यायक ने छुइत छै । भीष्म द्रोणों मौन धएने, दुर्योधनेक जुइत छै ।। दुर्योधनेक जुइत छै, कुशासने चीर हरय । कोना लाज बाँचल रहत, प्रशासने स्वांग रचय ।। युवा-भीम उठू झट, पिशाचे पसरल सबठाँ । चीरू छाती ओकर, दुशासने सबल सबठाँ ।। *************************

No comments:

Post a Comment