Monday, August 15, 2022

मोन के व्यस्त राखी

खाली राखब मोन तँ, भरि जायत शैतान । जँ ने रोपल खेत तँ, घास-फूस मैदान ।। घास-फूस मैदान, करी नीके नित चिन्तन । ग्रहण करी टा नीक, करी नै ककरो निन्दन ।। राखी सोच सकार, नकारा के जुनि पाली । चिन्तन नित अध्यात्म, मोन नै राखी खाली ।। ************************

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