काल्हुक चिन्ता मे डुबल,
आजुक सुधि बिसराय ।
काल्हि पुनः आजुक करत,
दुखी सतत रहि जाय ।।
दुखी सतत रहि जाय,
खुशी सब रहू निरन्तर ।
रहबे करतै चिन्तन मे,
दू लोकक अन्तर ।।
वर्तमान मे जीबी,
करू सुचिन्तन आजुक ।
सबदिन से पछताय,
डुबल चिन्तन जे काल्हुक ।।
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