Monday, October 16, 2023

वर्तमानमे जीबी

काल्हुक चिन्ता मे डुबल, आजुक सुधि बिसराय । काल्हि पुनः आजुक करत, दुखी सतत रहि जाय ।। दुखी सतत रहि जाय, खुशी सब रहू निरन्तर । रहबे करतै चिन्तन मे, दू लोकक अन्तर ।। वर्तमान मे जीबी, करू सुचिन्तन आजुक । सबदिन से पछताय, डुबल चिन्तन जे काल्हुक ।। ***************************

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