मात्र दैहिक सुनरता पर जे जेता
सतत पछतावाक संग खत्ता खेता ।
आतंरिक गुण के असल सौंदर्य बुझू
से जे देखता सैह टा बुझनुक हेता ।। सुनरता नपबाक बहुतो विन्दु सब मे देह के सौंदर्य अतिशय बाद आबय। प्रेम, कोमल ह्रदय, वाणी सत्य संगहिं- मधुर, विदुषी, तीक्ष्ण बुद्धिक नाम आबय।।
सतत पछतावाक संग खत्ता खेता ।
आतंरिक गुण के असल सौंदर्य बुझू
से जे देखता सैह टा बुझनुक हेता ।। सुनरता नपबाक बहुतो विन्दु सब मे देह के सौंदर्य अतिशय बाद आबय। प्रेम, कोमल ह्रदय, वाणी सत्य संगहिं- मधुर, विदुषी, तीक्ष्ण बुद्धिक नाम आबय।।
No comments:
Post a Comment