Saturday, May 20, 2017

करू प्रतिभा के ने कुण्ठित

पो'न ठेलुआ बड़द बल पर
घीचि सकबै शकट कतबा ?
दोख घिचनाहर के नै किछु
डाँड़ मे दम रहत जतबा ।।

अध्ययन मे जते सुविधा
होमय संभव दियनु सबके ।
फुजल प्रतियोगिताक खातिर
खूब नीके गढू सबके ।।

फे'र आयत फ'ल सुन्दर
नाम जग मे तखन करता ।
सकल क्षेत्रे प्रथम भ' क'
तानि सीना अपन चलता ।।

एखन प्रचलित प्रथा मे त'
लाभ बलगरहे ल' लै अछि ।
जे असल हकदार अइके
लाभ तकरा नै भेटै अछि ।।

देश आगाँ बढ़य तै लै
करू प्रतिभा के ने कुण्ठित ।
रेस मे जे रहय औअल
करू तै जन के ने बञ्चित ।। 

  



       

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