पो'न ठेलुआ बड़द बल पर
घीचि सकबै शकट कतबा ?
दोख घिचनाहर के नै किछु
डाँड़ मे दम रहत जतबा ।।
अध्ययन मे जते सुविधा
होमय संभव दियनु सबके ।
फुजल प्रतियोगिताक खातिर
खूब नीके गढू सबके ।।
फे'र आयत फ'ल सुन्दर
नाम जग मे तखन करता ।
सकल क्षेत्रे प्रथम भ' क'
तानि सीना अपन चलता ।।
एखन प्रचलित प्रथा मे त'
लाभ बलगरहे ल' लै अछि ।
जे असल हकदार अइके
लाभ तकरा नै भेटै अछि ।।
देश आगाँ बढ़य तै लै
करू प्रतिभा के ने कुण्ठित ।
रेस मे जे रहय औअल
करू तै जन के ने बञ्चित ।।
घीचि सकबै शकट कतबा ?
दोख घिचनाहर के नै किछु
डाँड़ मे दम रहत जतबा ।।
अध्ययन मे जते सुविधा
होमय संभव दियनु सबके ।
फुजल प्रतियोगिताक खातिर
खूब नीके गढू सबके ।।
फे'र आयत फ'ल सुन्दर
नाम जग मे तखन करता ।
सकल क्षेत्रे प्रथम भ' क'
तानि सीना अपन चलता ।।
एखन प्रचलित प्रथा मे त'
लाभ बलगरहे ल' लै अछि ।
जे असल हकदार अइके
लाभ तकरा नै भेटै अछि ।।
देश आगाँ बढ़य तै लै
करू प्रतिभा के ने कुण्ठित ।
रेस मे जे रहय औअल
करू तै जन के ने बञ्चित ।।
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