Friday, May 19, 2017

आन्हर गुरु बहीर चेला

जानय ढोंढक मन्त्र नहिं
पनिया दड़ाड़क जहरि झाड़य।
ज्ञान मैट्रिक तक के नै छै
छात्र पी. जी. तक पढ़ाबय।।

एखन अनपढ़ गुरु सभक
भरमार दुनियाँ मे भेलै।
जखन गुरु अज्ञान मे छै
ज्ञान कत्त' स' देतै।।

गुरु छलै आन्हर बहिर शिष
गुड़ माँगथि त' माटि दै छै।
सीख अटपट भ' रहल छै
बात सब उल्टे करै छै।। 

बिगत बहुतो बर्ख स'
उत्पन्न गुरु शिष भ्रष्ट होइ छै।
एखन के शिष काल्हि के गुरु
नश्ल विलकुल नष्ट होइ छै।।

कुशल नेतृत्वक अभावें
पूर्ण दूषित सोच भेल छै।
छूति नै छै दूर दृष्टिक
रसातल मे देश गेल छै।।
     

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