ने कियो मित्रे ने रिपु क्यो
धरणि पर जनमैत अछि ।
मात्र व्यवहारे मनुज के
दोस्त-अरि बनबैत अछि ।।
जखन एक्के तत्त्व सबटा
जीव मे बिहरैत छै ।
तखन के भेल शत्रु ककरो
एकहि सब मे रहैत छै ।।
मात्र नाटक-पात्र सब क्यो
' निदेश ' क आदेश पालय ।
विज्ञ बूझथि बात असली
अज्ञ ' हमही कैल ' भाखय ।।
जेना कनिया आर पुतरा
खेल बच्चा सब रचाबय ।
मनुक्खो संसार तहिना
यत्न सँँ रंगिक' सजाबय ।।
स्वप्नवत् संसार के बुझि
मोह तजि क' रहू सब क्यो ।
भेटल जे प्रारब्ध स' अछि
सैह सम्पन करू सब क्यो ।।
धरणि पर जनमैत अछि ।
मात्र व्यवहारे मनुज के
दोस्त-अरि बनबैत अछि ।।
जखन एक्के तत्त्व सबटा
जीव मे बिहरैत छै ।
तखन के भेल शत्रु ककरो
एकहि सब मे रहैत छै ।।
मात्र नाटक-पात्र सब क्यो
' निदेश ' क आदेश पालय ।
विज्ञ बूझथि बात असली
अज्ञ ' हमही कैल ' भाखय ।।
जेना कनिया आर पुतरा
खेल बच्चा सब रचाबय ।
मनुक्खो संसार तहिना
यत्न सँँ रंगिक' सजाबय ।।
स्वप्नवत् संसार के बुझि
मोह तजि क' रहू सब क्यो ।
भेटल जे प्रारब्ध स' अछि
सैह सम्पन करू सब क्यो ।।
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