Thursday, May 18, 2017

तत्त्व एक्के रहय सब मे

ने कियो मित्रे ने रिपु क्यो
धरणि पर जनमैत अछि ।
मात्र व्यवहारे मनुज के 
दोस्त-अरि बनबैत अछि ।।

जखन एक्के तत्त्व सबटा 
जीव मे बिहरैत छै । 
तखन के भेल शत्रु ककरो 
एकहि सब मे रहैत छै ।। 

मात्र नाटक-पात्र सब क्यो 
' निदेश ' क आदेश पालय । 
विज्ञ बूझथि बात असली
अज्ञ ' हमही कैल ' भाखय ।।

जेना कनिया आर पुतरा
खेल बच्चा सब रचाबय ।
मनुक्खो संसार तहिना 
यत्न सँँ रंगिक' सजाबय ।। 

स्वप्नवत् संसार के बुझि 
मोह तजि क' रहू सब क्यो ।
भेटल जे प्रारब्ध स' अछि 
सैह सम्पन करू सब  क्यो ।।  
    

     
    

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