Thursday, May 18, 2017

प्रकृति-रक्षण

प्रकृति के रक्षण जरूरी, मातृभूता-
थिकी आद्याशक्ति जगतक जन्मदात्री ।
जँ प्रदूषण नै नियंत्रित भेल, संकट-
मे फंसत सबजीव, आयत कालरात्री ।।
आउ पृथ्वी दिवस पर संकल्प ली जे-
आइ सब क्यो सहस्रो गाछी लगायब ।
पुनः धरणी के सजायब गाछ-वृक्षें
धरा के हम स्वर्ग स' सुन्दर बनायब ।।
पवन शीतल सुवासित बह मंद गतिएँ
स्वच्छ सरिता बहय कलकल अमिय जल स' ।
शस्य -श्यामल भूमि धन-धान्ये हो पूरित
सुशोभित हो बाग़-उपवन पुष्प-फल स' ।
सदाचारी पुत्र राघव सदृश जनमय
जानकी सन पतिव्रता हो दुहित सबहक ।
भ्रातृ लछमन-भरत सनके बनय सबके
प्रतापी कृष्णक सनक हो पुत्र सबहक ।।

No comments:

Post a Comment