Thursday, May 18, 2017

विश्वगुरु

पश्चिमक सब देश त' विकसित कहाबय
मुदा मोनक शान्ति लेल भटकैछ सबदिन ।
ह'म भौतिकता मे पाछू छी भलेही
विश्वगुरु स्थान पर चढ़बैक एकदिन ।।
पूर्व मे सेहो पढ़ेलिऐ पाठ ज्ञानक
जखन छल भटकैत ओ सब अज्ञता मे ।
वेद, उपनिषदक सिखाओल पाठ हमहीं
ज्ञान मानवताक संग देल सभ्यता के ।।
पुनः आयल अछि समय जे हम पकड़ि ली
अपन पूर्वज केर सबटा मार्ग ज्ञानक ।
गुरुकुलक शिक्षणक संगहिं ब्रह्मचर्या-
नियम प्राणायाम आसन पाठ ध्यानक ।।
अपन आध्यात्मिक बलें निश्चय बुझू जे
ज्ञान-विज्ञानक शिखर चढ़ि जैब एकदिन ।
अंध पश्चिम-अनुकरण के चालि त्यागू
पूर्बजक मार्गे स' गुरुपद पैब एकदिन ।।

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