Monday, May 22, 2017

स्वयं पर हो आस जकरा

स्वयं पर हो आस जकरा
निराशा नै भेटय तकरा।
आन पर जे आस राखय
पूर नै हो आस तकरा।।

अपन भुज मजगूत जक्कर
धरा-सबसुख-लाभ तकरा।
आलसी आ अकरमन थिक-
बोझ, नै सुख-लाभ तकरा।।

पाथड़क सम मांसपेशी,
लौहसम भुज-उभय जिनकर।
लहड़ि आगिक नाड़ि  मे हो
सफलता दासी हो तिनकर।।

धरनि-रक्षा क' सकय जे
धार-असि पर चलि सकै अछि।
मृत्यु जक्कर चरण-दासी
गिरि सिखर स' कुदि सकै अछि।।

भीम सम हो गदाधारी
धनुष-बेधन पार्थ सम हो।
राम-मर्यादा, आ योगी-
श्वर कन्हैयालाल सम हो।।

            

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