ए'क संन्यासीक डंका
शिकागो मे रहय बाजल । एक वक्ता केर पाछू सकल धरती भेल पागल।।
शिकागो मे रहय बाजल । एक वक्ता केर पाछू सकल धरती भेल पागल।।
पुनः एकटा अटल जनमल देश के नवदिशा देलक। राष्ट्र दुनिया भरि मे फेरो प्रतिष्ठा अति प्राप्त केलक।।
वर्ष चौदह मे नरेन्द्रक पदार्पण धरनी मे भेलनि। नकारा सब रण स' भागल पाप स' ओ त्राण देलनि ।।
एखन यू पी मे प्रबलतम
एक योगी पुनः जनमल ।
जकर घंटा केर ध्वनि स'
हृदय सब गुंडाक दहलल ।।
एक योगी पुनः जनमल ।
जकर घंटा केर ध्वनि स'
हृदय सब गुंडाक दहलल ।।
यती संन्यासी सब मिलिक' देश के आगाँ बढेतै। पुनः हम्मर देश एकबेर विश्व के गुरुवर कहेतै।।
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