Saturday, May 20, 2017

देशक स्वाधीनता

देश के स्वाधीनता क्यो
भीख मङ्गला स' ने दै छै।
अनगिनत सत्पुत्र के
बलिदान जबरन छीन लै छै।।

अहिंसें आजाद भेल अछि-
देश हम्मर जे बुझै छथि।
तिमिर आ अज्ञान मे से
अबुधजन एखनो घुमै छथि।।

मूर्ख नै अंगरेज छल जे
राज बसुधा पर करै छल।
मात्र हिंसक क्रान्ति टा स'
धूर्त इंग्लिश सब डरै छल।।

राजगुरु, सुक,भगत, खुदि, आजाद, बिस्मिल,
सुभाषक सम अनगिनत सुत स' डरायल।
धूर्त आ शैतान अरि सुटकाय नांगरि
जान आफत स' बचा निज घर परायल।।

जान स' बेसी ने प्रिय किछु होइछ जग मे
दुष्ट कहिओ प्रेम स' ने बात बुझय।
जखन पाला पड़य ओकरा बीस सबस'
तखन ओकरा लोक तीनू  तुरत  सूझय।।    

  
  

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