हाथी राजा कत’ जाइत
छी, धरती
के हिलबैत जाइत छी, धूरा के उडबैत जाइत छी, गाछ
बिरिछ के खाइत जाइत छी I
खाम्ह सनक अछि जांघ अहाँ के , पंखा
सन के कान अछि I पर्वत सनके देह भरिमगर, आँखि, पूँछ बड छोट अछि II
सूंढ़ अहाँ हिलबैत रहै
छी, कान खूब चलबैत रहै छी, सांस
सेहो सूंढे स’ लै छी, सूंढे
स’ जल खूब पिबै छी I
दू टा दांत देखावक लेल
अछि, अलग
दांत खयबाक लेल अछि, बहुत चाव स’ ईख खाइत छी, बांस
पात संग धान खाइत छी I
हमारा घर पर अबिऔने, लड्डू-पेड़ा खैऔ ने I पीठ पर चढ़बिऔ ने,
मीठी के घुमबिऔने हाथी छथि हितकारी
मनुजक, जुनि हिनकर अपकार करी I विघ्नहरक गणपति स्वरुप ई, सतत्
हिनक उपकार करी II सतत्
हिनक.......II
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