खड़हा देखलक कछुआ के चेहरा पर मुस्की आनि लेलक I बूझि गेलै कछुआ, खड़हा
के आमर्षे
चैलेन्ज केलक II
दौड़ दुनू मे शुरू
भेल, खडगोश तुरत्ते
बिला गेल I ओ
लक्ष्य छूबि क’ आबि गेल, कछुआ लाजे मुंह छुपा लेल II
मेधा आ फुर्ती छुपत
कत’ दुनिया भेल हाइटेक आ ग्लोबल I ओ पुरना युग अछि बिलागेल, जायत नहिं मेधा के रोकल II
खड़हा गूगल पर जाय
देखल, कछुआ स’
पूर्बज हारि गेल I ओ खैल कसम नहि रुकब कतहु, मेधा संग फुर्ती जागि गेल II
के रोकि सकल ओकरा
कहियो, जे मनुज भेल संकल्प सांड I ओ छीनि लैछ अधिकार अपन, जे अलस त्यागि कसि लेल डांड़ I जे अलस................................
II
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