Thursday, July 14, 2016

चिड़िया

मोन होइऐ चिड़िया हम रहितौं,
दूर गगन मे उड़ि-उड़ि जैतौं।
पोखैर-धार के किछु मोजर नै,
गाँम-घ'र के ऊपर उडितौं।।
गाछ-बिरिछ के फल खा अबितौं,
बीच धार मे जल पी अबितौं।
छन मे उडिक' एक खेत स'
दोसर मे चट द' चलि जैतौं।
उडिक' नानी के घर जैतौं,
मौसी स' सेहो मिलि अबितौं।
दादी के घर मे चट जा क'
दालि-भात ख़ा क' चलि अबितौं।।
जै ने पैड़तै इस्कुल कहियो,
भोरका ऊठब सेहो मिटइतै।
ड्रेस पहिरबा के झंझट नै,
टास्को स' छुट्टी मिलि जैतै।।
मुदा कोना क' सहितौं बरखा,
गर्मी मे ए सी नै पवितौं।
जाड़क ठाड़ हाड़ मे लैगतै
हीटर-गीजर कत' स' लवितौं।।
मम्मी-पापा के कोरा के
स्वर्गक सुख नै कहियो पवितौं।
दादा के अमृत सम वाणी
कहू कत' जा क' हम लभितौं।।
जहिना हम छी तहिना बढियाँ
ईस दिय' हमरा वरदान।
सुख ने कहियो भेटि सकै अछि
मम्मी आँचर केर समान।
मम्मी आँचर.....।।

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