Tuesday, July 5, 2016

बूझू हमर नाम

सब लोक जनै अछि पाला बदल’ मे हम माहिर,
एक डारि नै बैसी हम ई अछि जगजाहिर.
लाज ने हमरा कनिको छूबय के नहि जानय,
आइ अहाँ संग काल्हि आन दिस सब क्यो मानय..   
             रंग बदल’ मे गिरगिट हारय
             नामी छी हम जगभरि मे,
             आइ हरित त’ काल्हि लाल छी
             भगवाधारण क्षणभरि मे.
बाहर स’ जनता के सेवक
देखय मे हम बड़का योगी,
असली बात मुदा ई अछि जे
भीतर स’ हम सब रस भोगी.
             लिख-लोढ़ा पढ़-पत्थर छी हम
             भाषण मे छी सबस’ बीस,
             हमरा पाछाँ सदिखन दौड़थि
             अफसर आ शिक्षानबीस.
कुरता-धोती झक झक हम्मर
गांधी टोपी सोभय माथ,
चरण हमर चूमय जे सदिखन
बूझू ओ भय गेल सनाथ.
         ए सी मे बैसी सदिखन हम
         चेला गांधी के कहबै छी,
         नाम गरीबक पर अपना लै
         नीति-नियम सबटा बनबै छी.
हम बरसाती बेंग उगै छी
जखन होइछ निर्वाचन बेर,
जीति गेलहुँ त’ पुनि नहि आयब
पाँच साल तक घुरिक’ फेर.

पांच साल तक घुरिक’ फेर....

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