Monday, July 18, 2016

बजारक भोजन



मीठी आइ कहू की खायब, नोनगर, मिठगर अथवा खटगर I जे खायब से सब टा लायब तरल भूजल आर चहटगर II
लड्डू खाजा रसमलाइ वा, रसगुल्ला के भाव चढल छै I दही जिलेबी सो’नपापड़ी कलाकंद के मांग बढल छै II

नोनगर निमकी चाट समोसा, फुचका पर सब लोक टुटल छै I छोला कटलेट वा आलूचप, बर्गर लग मे भीड़ जुटल छै II

मुदा ए’कटा बात कहै छी, दूषित अछि बाहर के खाना I घ’रक सब किछु शुद्ध रहै अछि, वाह्य बीमारी केर खजाना II

कतबो तेल मसल्ला डालू, करत ने कहियो घ’रक परतर I पौष्टिकता ने भेटि सकै अछि, होटल-भोजन भले हो चरपर II

खूब मलाई मिला मिला क', लाख जतन क' पाबि सकत नहि I जादू जे मम्मीक हाथ मे, स्वाद ओ कहियो लाबि सकत नहि II स्वाद ओ कहियो.......................II

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