मीठी ! देखू बिल्ली रानी, लागै अछि ई चतुर सयानी I सदिखन उछल-कूद मे लागल, भरिदिन करय अपन मनमानी II
मुसबा के जखने देखलनि त’, मुँह मे आबि रहल छनि पानी I मुदा नजरि कुतबा पर पडिते, याद अबनि हिनका परनानी II
माछक गन्ध जहां लगलनि त’, दोगे-दोग ससरि क’ ए'ली I छौंकी ल’ मीठी दौडै छथि, कूदि-फानिक’ तुरत पड़ेली II
मम्मी के दूधक बासन पर, हिनकर नजरि रहै छनि लागल I दूधक गंध नाक मे लगलनि, चारू कात नचथि बनि पागल II
गर्म दूध मे मुँह सटलनि त’, जडलनि ठोर करै छथि छटपट I मम्मी के झाडू लगलनि त’, भगली दूम दबाक’ सरपट II
बिल्ली रानी आब कहू यै, नीक अहाँके की लगैत अछि ? मूस, माछ वा दूधक भोजन, मोन अहाँके की भवैत अछि ?
मोनक बात कहै छी ‘मीठी’! मूस माछ ने भावय हमरा I मम्मी हाथक दूध-भात,अनु- पम अमृत सम लागय हमरा II अमृत सम.............II
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