Tuesday, July 19, 2016

बिल्ली रानी



मीठी ! देखू बिल्ली रानी, लागै अछि ई चतुर सयानी I सदिखन उछल-कूद मे लागल, भरिदिन करय अपन मनमानी II

मुसबा के जखने देखलनि त’, मुँह मे आबि रहल छनि पानी I मुदा नजरि कुतबा पर पडिते, याद अबनि हिनका परनानी II

माछक गन्ध जहां लगलनि त’, दोगे-दोग ससरि क’ ए'ली I छौंकी ल’ मीठी दौडै छथि, कूदि-फानिक’ तुरत पड़ेली II

मम्मी के दूधक बासन पर, हिनकर नजरि रहै छनि लागल I दूधक गंध नाक मे लगलनि, चारू कात नचथि बनि पागल II

गर्म दूध मे मुँह सटलनि त’, जडलनि ठोर करै छथि छटपट I मम्मी के झाडू लगलनि त’, भगली दूम दबाक’ सरपट II

बिल्ली रानी आब कहू यै, नीक अहाँके की लगैत अछि ? मूस, माछ वा दूधक भोजन, मोन अहाँके की भवैत अछि ?

मोनक बात कहै छी ‘मीठी’! मूस माछ ने भावय हमरा I मम्मी हाथक दूध-भात,अनु- पम अमृत सम लागय हमरा II अमृत सम.............II

No comments:

Post a Comment