Thursday, July 14, 2016

पितृ-दिवस:-


मात्र चारि बरखक छलहुँ त' माता स्वर्ग सिधारली।क्षीणतम् स्मरण। मुदा पिताक आशीर्वाद 25 बरख तक प्राप्त भेल। ओ हमर माय-बाप दूनू छलाह। ओ अजातशत्रु छलाह। सेवा भाव के धारण केने छलाह। हुनका शरीर स' जँ दुपहरियो राइत मे ककरो काज होइतै त' कहियो पाछू हट'बला नहि छलाह। हमरा पढ़ाइक लेल अपन शारीरिक कष्ट पर कहियो ध्यान नहि देलनि। हमरा कहियो कोनो काज नहि अढेलनि जे पढ़ाई मे बाधा भ' जेतनि। हमरा स' कहियो सुख नहि भेटलनि। हमरा ज्वाइन केला स' पहिले स्वर्गवासी भ' गेलाह। आइ स्मरण क' आँखि डबडबा रहल अछि। पिता! अहाँ जत' कतहु छी हम ह्रदय स' अहाँक आत्माक शांतिक कामना क' रहल छी। अहाँक ऋण स' कहियो उऋण नहि भ' सकै छी। हँ एतेक विश्वास अछि जे अहाँ जत' छी देखिक' प्रसन्न होयब जे अहाँक ई पुत्र अहाँक नाम के नीचा नहि केलक अछि आ जीवन पर्यन्त अहाँक आदर्श-सेवा भाव के अपन आदर्श बनायत।

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