दादा आ दादिक संग
मीठी, अरुण गिरि पर चढ़ि रहल छथि I डैड-मम्मी आर चाचू, सेहो संगहि बढि रहल छथि II
भरल बानर यूथ सगरो, सब बहुत झगडा करै अछि I खूब कूदय आर फानय, दृश्य अति सुन्दर लगै अछि II
पहुँचला स्कन्द आश्रम,
ध्यान
मे सब लोक भिडि गेल I उठै छथि त’ एक बानर, कान्ह
दादाजीक चढ़ि गेल II
सब गुफा-विरुपाक्ष
पहुँचल, ओतय
पुनि-पुनि ध्यान केलनि I संत
एक मीठिक कर, केराक
दू छिम्मी देलनि II
दिवि बानर झुण्ड दिसक’, दुहू केरा के फेकै छथि I मारि
बझि गेल बानरक बिच, एक दोसरा स’ छिनै छथि II
थिका बानर
मनुज-पूर्वज, करी
श्रद्धें भोज्य अर्पण I जाहि
विधिएँ करै छी सब, भक्ति-भावें पितर तर्पण II
राम बानर केर बल पर,
राक्षसक संहार केलनि
I हनुमतक
पूजाक फल स’, मनुज
के उद्धार हेतनि II
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