गामक इस्कूल लग, कच
आ मुरही ल,’ ठीक चारि बाजल कि, बौकी बैसि जाइत छल I भुक्खल बच्चाक झुण्ड, छुट्टी पबैत देरी, हुरदंगी
मचबैत सब, ल’ग मे जुटि जाइत छल II
मुरही संग दू टा कच,
हंसि-हंसिक’ सबहक कर, बौकी फ़टाफ़ट क’, दोना द’ दैत छल I कूदि-कूदि
बच्चा सब, अपन-अपन हाथ बढ़ा, झट-पट मे बौकी स’, दोना ल’ लैत छल II
छोट-छोट ढुनमा-मुनमा,
सगरदिन भुक्खल सब, हाथ मे दैत देरी, चट स’ खा लैत छल I फेर स’ हाथ पोछि, झुण्ड मे फेर शामिल
भ’, फेर एकटा नव दोना मे, फेर ल’ लैत छल II
अहिना हरेक बच्चा, दू-दू
आ तिन-तिन बेर, हंसि-हंसि क’ दोना ल’, खूब खा लैत छल I मुदा पाइ एके बेरक, बच्चा सब दैछ आ, हंसी-खुसी
बौकी झट, चुप्पे राखि लैत छल II
बच्चा आ बौकिक ई, हंसी-खेल
क्रय-विक्रय, अही क्रमें लगातार, चलैत रहल तावत धरि I संगी
सबकेर संग, हमहूँ ने पास क’ क’, निकलि नहि गेल रही, इस्कुल स’ यावत धरि II
बहुत बरख बितला पर,
अपना दरबज्जा पर, बात मे मशगुल हम, बैसल छी मीठी संग I देखै
छी बौकी के, माथ पर पथिया लय, हमरे दरबज्जा दिस, आबि रहल पोती संग II
“बाल्यकालक संस्मरण,
इस्कूल के बच्चा सब, कच आ मुरही, की आहाँ के याद अछि? हम सब अनेक बेर, खा-खा क’ एके बेरक,
पैसा जे दैत रही, ठकलहु से याद अछि?”
“ठकितै की हमरा क्यो,
तोरा सबहक चलकपनी, खेल-बेल खूब हम, सबटा बुझैत छलियौI तोरे सबह’क बलें,
पक्का के घर बनलै, बेटी के ब्याह क’ क’, खेतो खूब कीन लेलिऔ II
ठकेलैं रे तोंही सब,
ह’म त’ कमेलिऔ खूब, बच्चा सबहक संग, खेलो खेलेलिऔ रे I सुइद मे रे बौआ सुन, क’च आ मुरही पर, गोकुल
के ग्वालिन के आनंदो लेलिऔ रे” II
आइ अइ अनपढ़ के, अन्दर
के भाव देखि, लेखनी अवरुद्ध आ आत्मा विभोर अछि I
बौकी के दर्शन आ नमन गोपी-भाव के क’, बाल्यकाल याद क’, मोन सराबोर अछि II
मोन सराबोर अछि ....II
बौकी के दर्शन आ नमन गोपी-भाव के क’, बाल्यकाल याद क’, मोन सराबोर अछि II
मोन सराबोर अछि ....II
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