मीठिक नानी कुतबा
पोसली, कूद-फान ओ खूब करै छनि I चोर देखि सुटकाबय नान्गरि, पाहुन पर ओ खूब भुकै छनि II
बाहर स’ ए’ली नानी त’, कुतबा प्यार जनाबक लेल- उछल-कूद करिते-करिते चट, नानी के कनहा चढ़ि गेल II
चाटय नानी के साड़ी त’, ओ
अतिशय खिसियाय जाइत छथि I कसिकय
डांट पडल कुतवा के, कोना
मे जा नुका जाइत छथि II
बाट-बटोही सब पर
भूकय, कुतबा त’ अछि अतिशय शातिर I नानिक घर मे ख़ाक,’ दौड़य- दोसरक दूरा हगबा खातिर II
बच्चा सब स’ खूब पटै, खेलय मीठी-तासुक संग भरिदिन I मीट-भात खा-खा क’ अतिशय, आँखि मूनि क’ सूतय
सबदिन II
बहय बड़द पर बिना काज
के, कूकुर
देखू हकमि रहल अछि I स्वान जाति के
निंद्रा, दृग के- खन मूनय खन खोलि रहल अछि II
अपना जातिक अछि ई दुश्मन, देखिते
दरबज्जा स’ कूदल I खूब
खिहारय लागल ओकरा, दम्म
लगाकय जोड़ें भूकल II
कुतबा अछि अतिशय कटाह, जे छेडथिन्ह तिनका नहि छोड़तनि I मात्र सात टा मोटका सुइ, ढ़ोंढ़ी
मे तिनका लेबहि पड़तनि II
मनुज के पकिया संगी थिक, आदिमानव काल स’ ई I ने कियो
परतर करत, छथि बफ़ादारी मे प्रथम ई II
चोर-डाकू स’ डरय
नहि, जोड़ स’ भुकबे करत ई I जान दैयो क’ करत रक्षा , ने ककरो स’ डरत ई II
घ्राण शक्तिक धनी ई,
दोषी के जा क’ तुरत जकडय I पुलिस सेहो हिनक बल स’, पैघ अपराधी के पकडय
II
थिका ई भैरव,
युधिष्ठिर- केर ई छथि स्वर्ग साथी I गाडि हिनका नाम स’ जे- दैछ, ओ थिक महापापी II
No comments:
Post a Comment