विश्व रंगमंच पर
आदिनांक मात्र एक पात्र एहन भेल अछि
जे हरेक क्षेत्र के टॉपर
सबस' पैघ योगी/भोगी/कूटनीतिज्ञ/बलशाली हो ।
आदिनांक मात्र एक पात्र एहन भेल अछि
जे हरेक क्षेत्र के टॉपर
सबस' पैघ योगी/भोगी/कूटनीतिज्ञ/बलशाली हो ।
गो, गोबर्धन आ ब्राह्मण के पूजब-
गो- कृषि, पशुपालन, खाद्य
गोवर्धन- पर्यावरण
ब्राह्मण- शिक्षा, ज्ञान-विज्ञान-टेक्नोलॉजी, न्याय, नीति-
हुनक प्राथमिकता मे छल ।
गो- कृषि, पशुपालन, खाद्य
गोवर्धन- पर्यावरण
ब्राह्मण- शिक्षा, ज्ञान-विज्ञान-टेक्नोलॉजी, न्याय, नीति-
हुनक प्राथमिकता मे छल ।
ओतेक यूनिक होमक लेल
ओतबे पैघ तपस्या
ओतबे कष्ट
गर्भे स' मृत्युक तलवार लटकैत
बच्चे स' भयानक दुश्मन सबहक सामना
सबदिन किछु ने किछु अजूबा
गोवर्धन धारण
इन्द्र दर्पहनन
पूतना, यमलार्जुन, सकटासुर, बकासुर, अघासुर, प्रलम्बासुर, तृणावर्त, कालीय दमन,
व्योमासुर, मुस्टिक, चाणूर, कंस-बध
इत्यादि प्रकरण बचपने मे संपन्न
ओतबे पैघ तपस्या
ओतबे कष्ट
गर्भे स' मृत्युक तलवार लटकैत
बच्चे स' भयानक दुश्मन सबहक सामना
सबदिन किछु ने किछु अजूबा
गोवर्धन धारण
इन्द्र दर्पहनन
पूतना, यमलार्जुन, सकटासुर, बकासुर, अघासुर, प्रलम्बासुर, तृणावर्त, कालीय दमन,
व्योमासुर, मुस्टिक, चाणूर, कंस-बध
इत्यादि प्रकरण बचपने मे संपन्न
यशोदा के विराट रूप देखेनाइ, माखन-चोरी, चीरहरण, रासलीला इत्यादि मृदुलतम कार्य
सब बचपन मे संपन्न ।
सब बचपन मे संपन्न ।
युवावस्था मे शिशुपाल बध, कुरुक्षेत्र मे महाभारत, अर्जुन के विराट रूप देखेनाइ, द्रौपदी के चीरहरण प्रकरण मे लाज बचेनाइ, द्रोणाचार्य के मृत्यु प्रकरण, जयद्रथ बध,
कुरुक्षेत्र मे विना स्वयं अस्त्र-शस्त्र के कौरव पक्षक पराजयक निमत्त भेनाइ अर्थात् कृष्ण के विना कौरव पक्ष नहि हारि सकै छल ।
कुरुक्षेत्र मे विना स्वयं अस्त्र-शस्त्र के कौरव पक्षक पराजयक निमत्त भेनाइ अर्थात् कृष्ण के विना कौरव पक्ष नहि हारि सकै छल ।
अर्जुन के गीताक उपदेश, संसारक अद्भुत सन्देश अछि- संसार मे आइ तक गीता सनक पुस्तक नहि लीखल गेल- साक्षात् भगवान् के श्रीमुख स' निकसल परम रहस्यमयी दिव्य वाणीक परतर आन कोन पुस्तक करत ? सब पंथक आदमी के अपन अपन मतक अनुसार समाधान आ उद्धारक उपाय अहि ग्रन्थ मे उपलब्ध अछि । भगवान् स्वयं बाद में कहैत छथि जे हम गीता के एखन नहि दोहरा सकब, कारण ई जे जाहि समय मे हम ई अर्जुन के सुनेलिअनि ताहि समय मे हम योगावस्था मे छलहुँ ( म0 भा0, आश्व0 16/12-13) । ई हमरो सबहक संगें होइछ- ध्यानावस्थाक कोनो रचना के दोहरेनाइ साधारण अवस्था मे असंभव होइछ ।
कृष्ण सम ने कोनो वक्ता, ने कोनो कलाकार-गायक, वादक, नर्तक भेल। कालीय नाग के फन पर के नाचि सकत ? महारास के क' सकत? ततेक किताब कृष्ण पर छन्हि जे गानव असंभव, हुनक वर्णन के क' सकत?
जखन कंस के दरबार मे बलराम जीक संग हमर कन्हैया पधारै छथि तै समय के वर्णन अछि- पहलवान के बज्र, साधारण मानव के नर-रत्न, महिलागण के कामदेव, गोप-गण के स्वजन, दुष्ट के दण्डित कर'बला शासक, बुजुर्ग के शिशु, कंस के मृत्यु, अज्ञानी के विराट, योगी के परमतत्त्व आ भक्त के इष्टदेव बुझना गेलथिन्ह ( श्रीमद्भा0 10/43/17) ।
श्री कृष्ण महायोगेश्वर छथि। योगीक ईश्वर भेनाइ सरल भ' सकैछ पर योगक ईश्वर क्लाइमैक्स अछि- अहुना हमर कान्हा क्लाइमैक्सक समूहे त' छथि ।
न्याय के पक्ष ल' क', आततायी के नाशक संकल्प, गो- ब्राह्मण हितायक संकल्प ल' हम कृष्णाष्टमी मनाबी तखने अहि तिथिक सार्थकता ।
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