Wednesday, August 24, 2016

पटना पुस्तक मेला


वर्ष नब्बे केर पटना-
पुस्तकक मेलाक वरनन-
कय रहल छी, ओ रहत-
जिन्दगी भरि याद सदिखन I
विमलजी, नीलू आ दीपू,
संग तीहूँ के लेने छी I
रहय स्कूटर पुरनका,
लादि तीहूँ के लेने छी II
भीड़ अछि अनगिन तते जे-
देह मे रगड़ा लगै छै I
लोक की पुस्तक ख़रीदत,
नाक मे गरदा भरै छै II
विमलजी अछि पांच, दीपू-
सात, नीलू नौ बरख के I
भीर मे सब चलि रहल छै,
ध्यान नश्ते दीस सबके II
ध्यान भीरे पर रहय, सब-
मुदित मन स’ चलि रहल अछि I
जखन नीचा दीस देखलहुँ,
विमलजी नहि दिख रहल अछि II
खोजै छी तीनू गोटे मिलि,
मुदा कत्तहु ने देखै छी I
दुहू के कय ठाढ़ कत्तहु,
एकसरे खोज’ चलै छी II
आँखि नोरें, ध्यान हनुमत्-
एनाउंसर काउंटर खोजै छी I
तही बिच मे माइक पर-
उद्घोष-‘विमलेन्दु’क सुनै छी II
दौड़िक’ पहुँचैत छी-
कानैत बौआ के देखै छी I
लगा छाती-उठा कोरा,
दिबी-नीलू लग अबै छी II
की घुमब मेला ने एक्को-
टा ओत’ पुस्तक लेलहुँ I
तुरत्ते सब क्यो विदा भय,
अपन डेरा पर एलहुँ II
पहुँचलहुँ डेरा कुशल स’,
जान मे पुनि जान आयल I
‘छोट बच्चा ल’ ने मेला–
जैब कहिओ’- कसम खायल II
एखन चेन्नै मे विमलजी,
एकसरे सबतरि घुमै छथि I
कोनो चिंता-फिकिर ने किछु,
मजा मे सब क्यो रहै छथि II
सोचै छी ओइ दिनक दृश त’,
कलेजा मुँह मे अबै अछि I
जँ ने ओइदिन विमल भेटितय,
प्राण मम उपरे टंगै अछि I
छोट बच्चा संग जँ क्यो-
घुमक मेला लेल जायब I
अछि निवेदन हमर जे,
बच्चाक हरदम ख्याल राखब II
चुकि गेला स’ बाद मे त’,
मात्र पछताब’ पड़ै छै I
सावधानी सतत राखी,
समय ने घुरिक’ अबै छै II

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