बात बहुत पुराण,
प्रातःकाल घूमक लेल हम, कार स’ उद्यान मे छी जा रहल I शेखपूरा चौक पर
डंडा लेने निज हाथ मे, देखल पागल एकटा अछि घुमि रहल II
मूँह स’ सीटी बजा- कंट्रोल ट्रैफिक क’ रहल अछि I
बूझिकय पागल मुसकि सब- लोक आगाँ बढि
रहल अछि II
टहलि क’ लौटैत बेर- गाड़ी हमर पंचर भ' गेलै I सटाक’ पंचर लगाबैत
टैर- नौ भइए गेलै II
भीड़ ट्रैफिक केर
बेली- रोड पर अतिशय बुझाइ अछि I हम नवसिखुआ बाम लेन मे, कोना आयब नै सुझाइ अछि II
देखै छी सीटी बजाबैत
हाथ डंटा वैह पगलेट, रोकि रखने अछि सकल ट्राफिक के तावत् I हम घुमाक’ कार ल’ क’ दछिन भागक- लेन मे ने नीक
स’ चलि गेलहुँ यावत् II
मोने मोन किर्तग्य
भय सैलूट दय हम विदा भयलहुँ
I चलाक’ अति
चेतने- आराम स’ डेरा पहुंचलहुँ II
आइ ओइ दिनका सोचै छी
कोना क’ ई सब भेलै I कोना क’ ओ शेखपूरा स’ ओतेक दुर चलि गेलै II
जँ ने रहितय ओहि दिन
ओ त’ कोना डेरा मे अबितहुँ I कोना क’ हम
पार होइतहुँ कोना क’ गाड़ी के लबितहुँ II
नै करी उपहास ककरो
जानि नै के काज आयत I बेर पड़ला पर फतिंगो हीत सब जन स’ बुझायत II
सदृश बानर कूदि-कुदि
कंट्रोल ट्राफिक क’ रहल छल I भ’ सकय धय रूप पागल, पवनसुत हित क’ रहल छल II
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