‘जद्दू’ ओकर नाम छलै
पिताजीक खेत मे हरबाहि करैत छल
अन्ह्रोखे ओ अबैत छल
खूब अन्हार भेला पर जाइत छल
भोर स’ साँझ तक अत्यधिक खटय
पर कहियो मूँह मलिन नहि देखलहुँ
पिताजीक खेत मे हरबाहि करैत छल
अन्ह्रोखे ओ अबैत छल
खूब अन्हार भेला पर जाइत छल
भोर स’ साँझ तक अत्यधिक खटय
पर कहियो मूँह मलिन नहि देखलहुँ
खूब लंबा-चौड़ा शरीर
रोपनी, कमैनी, कटनी, दौनी मे
ओकरा मे क्यो ने सकय
मात्र पिताजी स’ ओ हारैत छल
रोपनी, कमैनी, कटनी, दौनी मे
ओकरा मे क्यो ने सकय
मात्र पिताजी स’ ओ हारैत छल
बीया बाग़ कर’ स’ ल’ क’
रोपनी, पटौनी, निकौनी, कटनी,
दौनी, उसिनिया, कुटिया, फटकीया
कोठी मे ढारनाइ तक
सब काज ओ करै छल
रोपनी, पटौनी, निकौनी, कटनी,
दौनी, उसिनिया, कुटिया, फटकीया
कोठी मे ढारनाइ तक
सब काज ओ करै छल
भोर स’ साँझ तक ओकरा देखी
नेनमति, ओकरा घरे के सदस्य बूझी
जाति-पातिक कोनो ज्ञान नहि
छड़पि क’ ओकरा कनहा पर चैढ जाइ
ओकरा मना केलो पर
जावत ओ हाँ-हाँ करय
ओकर भोजन आ जलखै मे स’
चट ल’ क’ थोड़े खा ली
विना मुँह लारनहि, घोंटि ली
नेनमति, ओकरा घरे के सदस्य बूझी
जाति-पातिक कोनो ज्ञान नहि
छड़पि क’ ओकरा कनहा पर चैढ जाइ
ओकरा मना केलो पर
जावत ओ हाँ-हाँ करय
ओकर भोजन आ जलखै मे स’
चट ल’ क’ थोड़े खा ली
विना मुँह लारनहि, घोंटि ली
परदेश स’ बहुत दिन पर गाम गेलहुँ
जद्दू के नहिं देखलिअइ
खोज केलिअइ त’ पता लागल जे
आब नहिं अबै अछि
बेटाक माथा पर सब भार द’ क’
गामे पर रहैत अछि
जद्दू के नहिं देखलिअइ
खोज केलिअइ त’ पता लागल जे
आब नहिं अबै अछि
बेटाक माथा पर सब भार द’ क’
गामे पर रहैत अछि
नाम सुनैत देरी
भेट करवा लेल
दौड़ल आयल
हाथ मे अपना बारीक एक घौर केरा लेने
कुर्सी पर बैसक लेल कतबो कहलिऐक, नै बैसल
जमीने पर बैसि गेल
चाह पीबक लेल देलिऐक
कप धोक’ रखलक
किओ हमर पैघ बालक के कोरा मे रखने छलैक
पाँच टा रुपैया जद्दू आसिर्वादी सेहो देलकै
भेट करवा लेल
दौड़ल आयल
हाथ मे अपना बारीक एक घौर केरा लेने
कुर्सी पर बैसक लेल कतबो कहलिऐक, नै बैसल
जमीने पर बैसि गेल
चाह पीबक लेल देलिऐक
कप धोक’ रखलक
किओ हमर पैघ बालक के कोरा मे रखने छलैक
पाँच टा रुपैया जद्दू आसिर्वादी सेहो देलकै
हाल-चाल पुछलिअइ त’ उत्तर देलक
-‘तीनू बेटा के घर मे
एक-एक मास खाइत छी
कहुना गुजर चलैयै
समय काटि लैत छी’
-‘तीनू बेटा के घर मे
एक-एक मास खाइत छी
कहुना गुजर चलैयै
समय काटि लैत छी’
ओकर हाल सुनि
बहुत तकलीफ होइछ
विदा भेल त’
एक सै रुपैया देब’ चाहलहुँ
मुदा ओ नै लैछ
बहुत जिद्द केला पर
पांच रुपैया राखि लैछ
ओतेक दयनीय हाल मे रहितो
ओकर संतोष मोन मोहि लेलक
ह्रदय मे आदरणीय स्थान बना लेलक
ग्रैंड सैल्यूट !
बहुत तकलीफ होइछ
विदा भेल त’
एक सै रुपैया देब’ चाहलहुँ
मुदा ओ नै लैछ
बहुत जिद्द केला पर
पांच रुपैया राखि लैछ
ओतेक दयनीय हाल मे रहितो
ओकर संतोष मोन मोहि लेलक
ह्रदय मे आदरणीय स्थान बना लेलक
ग्रैंड सैल्यूट !
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