Saturday, August 13, 2016

काज जकरे साजय तकरे

छुट्टी भेलै इस्कूल मे,
हट्ठाक ब’डद जेना फूजल I
दौडिक’ चटियाक यत्था,
एगच्छा लग जा जुटल II
बाध मे आमक झमटगर-
गाछ एक्केटा छलै I
तही द्वारे नाम ओक्कर,
एगच्छा चर्चित भेलै II
ओतय क्षण विश्राम क’ क’,
छात्र सब आगाँ बढै छल I
आबिक’ भल्ली पोखरि के,
गाछ-पाकरि तर रुकै छल II
भूमि पर लतरल छलै-
दू डारि तै पर सब झुलै छल I
थोड़े झूला झूलि गामक बाट –
सब चटिया धरै छल II
आइ, बड़हीटोल लग छल,
एक रिक्शा ठाढ़ आगू I
फानि हम झट सीट चढलहुँ,
संग दू टा दोस्त पाछू II
साइकिलो चलब’ ने आबय,
कोना क’ रिक्शा ओ चलितै I
जहाँ पैडिल देल कि-
दस फूट खधिया मे जा खसलै II
थाल-कादो भरल तन-
सबलोक पोखरि में कुदै छी I
स्नान कपड़ा धो सुखा, पुनि
गाम पर चुपके अबै छी II
याद पडि गेल नङरकट्टा-
कपिक नांगरि फँसि गेलै I
सकल बानर मीलि घिचलक,
मुदा नांगरि कटि गेलै II
भेटल शिक्षा क्यो ने अनबुझ-
काज मे निज हाथ डाली I
काज जनिक साजय तनिक, नहि-
जान अपटी खेत डाली II

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