Monday, August 22, 2016

एकटा आर सपनौर


छोट शहरक बात थिक,
दस गोट अंग्रेजक महल छल I
बगल के बस्ती मे चारूकात,
हिन्दुस्तानी बसल छल II

विदेशीगण सुखी संपन्न,
ठाठ-बाटें स' रहै छल I
आर चारूकात के सब-
मजूूरी ओत्तहि करै छल II

मर्द जाइ छल खेत, महिला-
काज महले मे करै छल I
भेटै मजदूरी तही स’-
गुजर सब लोकक चलै छल II

‘फ्रायड’ के ओहिठाम ‘सोनमा’-
करय सबटा काज सब दिन I
मात्र सुतबा लेल जाइ छल-
रात्रि मे निज गेह नित दिन II

भेलै आन्दोलन ‘बियालिस’-
पकड़ि गोरा के पिटै सब I
ओतहु पसरल बात सबटा-
सतत शंकालू रहै सब II

तुच्छ बुद्धिक लोक सब-
जुटि, साँझ मे बैसार केलकै I
दुष्ट अंग्रेजक महल के,
राइत मे निश्चय जरेबै II
सुतल रहतै फिरंगीगण,
आगि मे सब जरा देबै I
ओकर सबहक ध’न-सम्पति,
ह’मसब मिलि उड़ा लेबै II 

सुनल सोनमा बात सबटा,
जखन ओ सूत’ गेलै I
दौड़ि पड़लै मालिकक घर-
‘सूचना झट स’ देबै’ II

छलै लागल भनक किछु-किछु-
फिरंगी शंकित रहै छल I
ओहो सब साकान्छ, भागक-
लेल तैयारी करै छल II
गेट के पीटैछ सोनमा,
जोर स’ चिचिया उठल I
रात्रि बारह बजे, शंकित-
फ्रायड फाटक दिस बढ़ल II

हाथ मे बन्दूक रखने,
जोर के आव़ाज सुनलक I
खोलि फाटक लक्ष्य क’क’,
तीन गोली तुरत दगलक II

दौड़िक’ गेल त’ देखै अछि,
चित्त भ’ सोनमा खसै अछि-
-‘ अहाँ मालिक तुरत भागू,
भीड़ मार’ लै अबै अछि ’ II

एते कहि सोनमा मरल,आ-
फ्रायड क्रंदन करि रहल अछि I
हड़बड़ी मे कैल कृत पर,
माथ-छाती पिटि रहल अछि II

लगाक’ सोनमा के छाती-
स,’ तुरत सबके जुटायल I
दैछ सब सैल्यूट पुनि-पुनि,
फिरंगी झट सब पड़ायल II

सुनल छल 'सपनौर', 'अहि' स’-
शिशुक रक्षा लड़ि केने छल I
मुदा शंकित मोन मालिक,
जान ओकरे ल’ लेने छल II
आइ त’ सप्नौर एकटा,
फेर स’ मारल गेलै I
विना सोचने कृत्य के
परिणाम एहने टा हेतै II

" मोन शंकित, चित्त थिर नहिं,
काज मे जे करय हड़बड़ I
हैत पश्चाताप, लौटत-
कैल नहि, सब हैत गड़बड़ II "

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