Wednesday, August 24, 2016

कार्तिक पूर्णिमा


नब्बे इस्वीक कार्तिक पूर्णिमा
जिनगी भरि याद रहत I
बिहार मे कार्तिक पूर्णिमाक बड प्रशस्ति
अधिकांश लोक नदी/संगम स्नान लेल जरूर जाइछ I
नीलूक मायक मोन भेलनि
गंगा डूब दी I
स्कूटर स’ दूनू गोटे विदा होई छी
बांसघाट मे स्कूटर लगाक’
गंगा किनार जाइत छी
जल बहुत गंदा
संगहिं मग्गह स्नान स’ कोनो पूण्य नहि  
तैं बांसघाट मे स्नान करबाक मोन नहि होइछ I
दू परिवार ओहिठाम ठाढ़ छी
छोट-छीन नाव ल’ क’ एकटा नाविक अबैछ
दूनू परिवार ओहि मे बैसैत छी
एखन प्रतिबन्ध छैक
ओहि समय मे छूट छलैक
नदीक जल स्पर्श करैत
हाजीपुर साइड जाइत छी I
प्रथम श्रीमतीजी,
पुनि दोसर परिवार
आ अंत मे हम स्नान करै छी I
हेलनाइ जनित छी
हम हेल’ लगलहुँ
पैरो भासिआइत छल
नाविक मना करैछ
हम हेल्नाई छोड़लहुँ
नव के नजदीके मे नहा रहल छी I
तखने देखैत छी
दस टा किशोर गेंद खेलाक’
पसीने लथपथ
कुदैछ गंगाजी मे
सब तुरत घुरि आयल
मुदा एकटा बालक आगाँ बढि गेल
किछु कालक बाद सबहक ध्यान ओकरा दिस जाइछ
अरे ई की !
मात्र ओकर हाथ जल स’ ऊपर अछि
अरे! ई त’ डूबी रहल अछि
-   ‘जा हउ नाविक कने दौडह’
-   ‘नहि सरकार हम नहि जेब, हम डुबि जैब’
हमर मोन होइछ हम दौडिक’ ओकर जान बचाबी
मुदा से नहीं भ’ सकल
श्रीमतीजी हमर हाथ पकडि लेली
ओ बालक डुबि गेल I
काश ! कियो ओकरा बचा लैत !
गंगा मे हरदम लोक के धोखा भ’ जाइछ
ऊपर मे गति विल्कुल नहि
अन्दर मे तीव्र करेंट I
हाजीपुर साइड मे
सुखायल समय मे बालु निकालल जाइछ
ट्रकक ट्रक
कात मे मात्र तीन-चारि फीट गहींर
मुदा सडेन पचासों फीट गहराई
तै पर नीचा मे भयानक करेंट
नित्यप्रति लोक धोखा मे डुबैछ I
आइ अपना आँखि स’ देखल
अपटी खेत मे एक निरीह के प्राण जाइत
दसो दोस्त मे स’ एकोटा बचाब’ नहि एलेक
बाह रे दोस्ती
समय एला पर सब अपन जान बचाक’ भागल

काश ! कियो ओकर जान बचबैत I

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