एक बेरक बात थिक हम-
गाम दिस क’ जा रहल
छी I
स्वयं प्रातःकाल मे गाड़ी-
चलाक’ जा रहल छी II
साँझखन ड्राइभर के तकलहुँ,
भेट एक्को नै सकल I
तैं स्वयं यात्राक लेल,
गाड़ी चलाक’ जै पड़ल II
मुदा ड्राइभर सब
बहुत-
रफ़्तार, रफ गाड़ी
चलाबय I
स्वयं ऑनर सेफ, कम-
स्पीड मे गाड़ी चलाबय
II
पहुँचलहुँ बाजार एकटा,
खूब धीरे स’ चलाक’ I
बाम स’ एक वृद्ध एला -
हडबडा साइकिल चलाक’ II
ब्रेक पर चढ़ि रोकल
गाड़ी,
मुदा बुडहा खसि पडै
छथि I
पर तुरत्ते झाडि
कपड़ा,
झटकि क’ आगाँ बढै
छथि II
तावते मे देखै छी जे-
पचासो चेंगड़ा जुटल अछि I
घेरि क’ चारू तरफ स’,
पाइ झित्वा लै टुटल अछि II
केला ओ सब खूब झगड़ा,
पर ने चाभी छीन सकला I
तही क्षण एक खूब नमगर,
व्यक्ति ओइठाँ आ धमकला II
प्रभावी व्यक्तित्व कुरता-
पहिरने छथि खूब झक-झक I
पुष्ट तन नमगर भुजा आ-
पायजामा खूब चक-चक II
आबि
हमरा ल’ग मे-
पुछला, कहू की बात छै I
कहलिअनि आद्यंत सबटा,
बात भेल जे जे छलै II
बात बुझि क’ ओ पूछै
छथि-
चोट खेलक से कत’ गेल
I
हम कहलिअनि- ओ बहुत-
पूर्वे अपन गंतव्य
चल गेल II
ओ तखन चिचिआय उठला-
‘भाग छुतहर सब एत’ स’ I’
-‘अहाँ श्रीमन् ! की सोचै छी,
अहूँ झट घसकू एत’ स’ II’
खूब दय धनवाद हुनका,
इष्ट के परनाम
केलहुँ I
ध्यान क’ क’ पवनसुत
के,
गाम दिस गाड़ी
बढ़ेलहुँ II
हाल की होइतै,
पदार्पण-
जँ ने हुनकर होइत तत्छन
I
शायद सज्जन रूप धरिक’,
पवन-नंदन कैल रक्षन
II
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