Monday, July 31, 2023
प्रेमक डोइर
ल'ग मे रहले सँ क्यो,
नहि हृदय मे स्थान पाबय ।
दूर चलि गेनहिं सँ क्यो,
नहि हृदय सँ दूरे भ' पाबय ।।
ल'ग मे वा दूर मे हो,
भाव सबसँ पैघ अछि ।
बिना प्रेमे ल'ग दूरे,
प्रेमे ल'ग लगैत अछि ।।
निशाकर आकाश, कुमदिनि-
जले पर निबसैत छथि ।
होइत देरी शशिक दर्शन,
प्रफुल्लित विकसैत छथि ।।
ल'ग मे रहितो तँ बहुतो
लोक नित लड़िते रहय ।
गप्प-सप्पो बन्द सबदिन
दुगोला करिते रहय ।
थुक्कम-फज्झति सँ तँ दूरे
रहब बढियाँ बुझि पड़य ।
भले फोने पर हो गप-सप,
स्नेह के सरिता बहय ।।
भले क्यो दूरे किए ने,
याद हरदम जँ करय ।
डोइर मजगुत बनल रहने,
प्रेम कहियो ने घटय ।।
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ब्रह्मज्ञान टा सत्य
मिथ्या ज्ञाने रज्जुमे,
होइछ सर्प आभास ।
तही जेकाँ ऐ देहमे,
आत्मा केर अध्यास ।।
आत्मा केर अध्यास,
बिना ज्ञाने नै भागय ।
जेना बिना परकाश,
तिमिर किन्नहुँ नै भागय ।।
ब्रह्मज्ञान टा सत्य,
अन्य मिथ्या अज्ञाने ।
संसारे के सत्य,
बुझय सब मिथ्या ज्ञाने ।।
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Saturday, July 29, 2023
सीखी साइकिल तही दिशामे
सीखी साइकिल तही दिशामे,
जही दिशा गन्तव्य अभीप्सित ।
जँ सीखब विपरीत दिशा तँ,
लक्ष्य असंभव आर अनिश्चित ।।
लक्ष्य असंभव आर अनिश्चित,
शून्ये पर पुनि लौटिक' आयब ।
फेरो उल्टा चल' पड़त तँ,
जिनगी भरि बहुते पछतायब ।।
तैं तेहने अभ्यास करी नित,
स्रोते पर अँटकब सब सीखी ।
होयत सार्थक तखन परिश्रम,
प्रगतिक मंत्र यैह सब सीखी ।।
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मोन करू थिर स्रोत पर
कादो जन्मे सँ जमा,
खाली नित कैरते रहू ।
सुन्ना जावत् तक ने होबय,
तावत् उपछैते रहू ।।
तावत् उपछैते रहू,
ने चुरुक भरि बाँचय कथू ।
पात्र नै अजबारबै तँ,
कोनाक' राखब कथू ।।
भरू गंगाजल अमिय,
धारू गुरुक उपदेश आबो ।
मौन थिर हो स्रोत पर,
भरि जै ने फेरो थाल-कादो ।।
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Wednesday, July 26, 2023
उत्तमा सहजा पूजा
पूजा सहजा उत्तमा,
आत्मज्ञान जिज्ञास ।
चित्त सतत हृदयस्थ हो,
करू तकर अभ्यास ।।
करू तकर अभ्यास,
अहं थिक बाधक सबसँ ।
मोहे थिक अज्ञान,
प्रेम अति जीवे सबसँ ।।
हमहीं सब जीवेमे,
जगमे आन न दूजा ।
स्रोते पर टिकनाइ,
सहज सर्वोत्तम पूजा ।।
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Sunday, July 23, 2023
ईशे बेड़ा पार करता
ईशे बेड़ा पार करता,
आश हुनके पर धरू ।
जे स्वयं भयभीत अछि,
तकरा भरोसे नहि रहू ।।
तकरा भरोसे नहि रहू,
नै जानि आफत कखन आयत ।
बहन्ना ध' देत गच्चा,
बेर पर नहि काज आयत ।।
रहय पापी सब डेराकय,
देखि रहला सबटा ईशे ।
संत के नै भय कनिकबो,
करता बेड़ा पार ईशे ।।
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Saturday, July 22, 2023
जड़ि
करय जग मे नाम से जे,
कसिक' जड़ि धेने रहय ।
डीह-डाबर के ने बिसरय,
चाकरी कत्तहु करय ।।
चाकरी कत्तहु करय,
निर्भय रहय मजगूत जड़िजँ ।
डाइर-पल्लब-फूल-फल,
सब पुष्ट हो मजगूत जड़िसँ ।।
जकर जड़ि हो गहींर जतबे,
से तते ऊपर बढ़य ।
घात अन्हर-बिहाड़िक,
पाथरो किछु ने करय ।।
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Friday, July 21, 2023
दूसी जुनि परिवेशके
परिवेशके जुनि दूसी ,
चुनलहुँ अपने गेह ।
पूर्वजन्म के वासने,
भेटल सबके देह ।।
भेटल सबके देह,
यैह सबसँ अनुकूले ।
कोसि-कोसि निज भाग,
सोचथि सब प्रतिकूले ।।
सबसँ उत्तम देह
कुल ग्राम संग ई देश ।
उज्ज्वल-उत्तम भविष बनाबी
दूसी जुनि परिवेशके ।।
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Wednesday, July 19, 2023
द्रष्टाभाव
रहतै लगले आयब-जायब,
बूढ़ अबस्से सबक्यो होयत ।
देह व्याधि केर मंदिर होबय,
मृत्यु अबस्से सबहक होयत ।।
मृत्यु अबस्से सबहक होयत ,
भले धनिक वा दीन जगतमे ।
जनितो ऐ सत्यक रहस्य के,
स्वीकारत नहि कियो जगतमे ।।
ककरो बिनु आछन नहि होबय,
दुनियाँ अहिना चलिते रहतै ।
द्रष्टाभावें देखी सबकिछु,
आयब-जायब लगले रहतै ।।
Saturday, July 15, 2023
माया आओर ज्ञान
जे कियो दौड़ैत रहता
मायाक पाछाँ,
से ने कहियो किमपि
ओकरा पकड़ि सकता ।
रहत लागल तनिक पाछाँ
छाया हुनक,
चलब जे कियो सूर्य दिस
प्रारम्भ करता ।।
सुधीगण! संसार दिस नै
भागल करू तएँ,
होउ उन्मुख जिज्ञासुगण!
निज स्रोत रवि दिस ।
तनिक पाछाँ रहत लागल
संसार(सुख, समृद्धि) अपनहि,
चलब जे प्रारंभ करता
ज्ञान(सूर्य, प्रकाश) दिस ।।
Friday, July 14, 2023
सत्यवादी भक्त
घाव ककरो करब अछि आसान बहुते,
लगायब मलहम बहुत होबैछ मोसकिल ।
कष्ट पहुँचायब तँ जानय लोक सबटा,
आर्त के दुःख दूर कर्ता भेटब मोसकिल ।।
कोनोटा सम्बन्ध नै बड़ पैघ जगमे,
निभायब सम्बन्ध होबय बहुत मोसकिल ।
कर' मे आसान अछि अपकार ककरो,
कर' मे उपकार जगमे बहुत मोसकिल ।।
याचकक तँ छोड़ लागल देखब सगरो,
दानकर्ता के भेटब अछि बहुत मोसकिल ।
जान लेबक लेल भेटत लोक सबतरि,
जान देब'बला भेटब बहुत मोसकिल ।।
जतय जायब लालचीके यूथ पायब,
निलोभी त्यागी के भेटब बहुत मोसकिल ।
टोप-टहंकारी आ ढोंगी भेटत सबतरि,
सत्यवादी भक्त ज्ञानी भेटब मोसकिल ।।
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Wednesday, July 12, 2023
मात्र ईशक आश
बात-ज्ञानक डाङ बिपतिक
धैर्ज ध' क' सहू प्रतिदिन ।
जखन घूरत नीक दिन तँ,
भाग जागत अहुँक एकदिन ।।
भाग जागत अहुँक एकदिन,
मौन मुख के सतत राखू ।
स्नेह हो सकले जगत सँ,
नहि अनर्गल वचन भाखू ।।
मात्र ईशक आश, कहियो-
बिसरियो नहि आश आनक ।
यैह थिक भाखथि 'कमलजी'
पैघ सबसँ बात-ज्ञानक ।।
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Tuesday, July 11, 2023
लक्ष्य
जरूरी नै लकीरेके
फकीरे बनले रही,
जरूरी नै हम पुरनके
लीक ध' चलिते रही ।
जरूरी नै परिस्थितिके
अहर्निश कोसिते रही,
जरूरी अछि कोनहुना हम
लक्ष्य दिस चलिते रही ।।
लैछ बहुतो लोक निर्णय
परिस्थितिए देखिक',
सफलतम किछु सुविग सदिखन
चलथि लक्ष्ये पेखिक' ।
दिशा पवनक बदलबाके
छैक नै सामर्थ्य ककरो,
हर्ज की तरणीक मुख जँ
करी लक्ष्ये देखिक'!!!
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Monday, July 10, 2023
अज्ञता
अज्ञता अछि विपत्तिक जड़ि,
अहंता जड़िसँ नशाबय ।
ज्ञान सबसँ पैघ नौका,
पार भवसागर लगाबय ।।
पार भवसागर लगाबय,
वित्त क्षय किछु ने बिगाड़य ।
चरित्रक बल उन्नतिक जड़ि,
आत्मबल सभतरि उबाड़य ।।
गुरु थिका निज आतमा आ
मौन थिक सद्शिष्यता ।
मोन आत्मविलीन होइतहिं,
पड़ायत सब अज्ञता ।।
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Sunday, July 9, 2023
अवज्ञा नै करी ककरो
अपने जिनक स्वागत करब,
से घुरिक' अयता फेरसँ ।
उपेक्षा जिनकर करब, से
घुरि ने अयता फेरसँ ।।
घुरि ने अयता फेरसँ,तएँ-
अवज्ञा नै करी ककरो ।
अनेरे आयल करत से,
कहाँ फुरसति छैक ककरो ।।
आबिक' हरि घुरि जेता,
नै जानि केहनो भेष धयने ।
घुरि ने अयता फेर सँ ओ,
लाख पटकब माथ अपने ।।
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Saturday, July 8, 2023
अहंता अज्ञानता थिकि ।
अहंता अज्ञानता थिकि,
बुद्धि के छथि नाशकर्त्री I
क्रोध, मोहक जन्मदात्री,
विवेकक अपहरणकर्त्री II
विवेकक अपहरणकर्त्री,
मनुजता के मृत्युदात्री I
दोख दुर्गुण वृद्धिकर्त्री,
मनुख के गर्तक प्रदात्री II
गुमानक करु त्याग, सुन्दर-
देह एकदिन जाय जरता,
चिता भूमिक करी दर्शन,
जखन क' आबय अहंता II
मानू नै संबंध टूटत,
जँ अहं-बीया ने जनमत ।
फ़सल संबंधोक उपटत,
जँ गुमानक ख'ढ़ पनपत ।।
जँ गुमानक ख'ढ़ पनपत,
दहिन मे उधियाय लागत ।
काल के गति क्यो ने जानय,
क्षणे मे भसियाय जायत ।।
बाम दिन मे सब्र राखू,
दहिन मे छाती ने तानू ।।
प्रेम सबदिन रहय उर मे,
क्षमा के ब्रह्मास्त्र मानू ।।
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जे जैह रोपत सैह काटत ।
जायत ने संगमे कथू,
जे जैह रोपत सैह काटत ।
स्वयं भोग' पड़य सब किछु,
आन नहि क्यो दुक्ख बाँटत ।।
आन नहि क्यो दुक्ख बाँटत,
दर्द अनकर बाँटि ली ।
चारि दिवसक जिंदगी अछि,
हँसि-खेलाक' काटि ली ।।
यैह गिट्ठ' बान्हि ली जे,
भलाकर्ता भला पायत ।
एक नेकी छोड़िक',
संगमे ने कथू जायत ।।
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Friday, July 7, 2023
नाटक
नाटक टा भ' रहलै जगमे,
बूझथि क्यो नहि सत्य ।
असली बात बिसरि क' सब क्यो,
असते बूझथि सत्य ।।
असते बूझथि सत्य,
झूठमे लागल सब क्यो ।
कानि रहल अछि सत्य,
झूठ लेल पागल सब क्यो ।।
राति-दिन सब व्यस्ते,
मायालेल सब त्राटक ।
खुश रहबाक ने फ़ुरसति,
मुसकयबो थिक नाटक ।।
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Wednesday, July 5, 2023
श्रेष्ठता नै जन्मसँ हो ।
भले हो प्रतिकूलता,
अनुकूल ओ तकरा बनायत ।
ठाइन लेलक जँ मनुख तँ,
किछु ने किछु क' क' देखायत ।।
किछु ने किछु क' क' देखायत,
श्रेष्ठता नहि जन्म सँ हो ।
निपुणता आ श्रेष्ठता गुण आ
कला, निज कर्म सँ हो ।।
दूध डाढ़ी दही मक्खन
घृतादिक गुण होइछ अलगे ।
दाम भिन्ने रहय सबहक,
सब एकहि कुल के भले ।।
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