Tuesday, August 29, 2023
सकारात्मक सोच राखी
सकारात्मक सोच सँ,
ओझरायल काजो सुधरि जायत ।
नकारात्मक सोच सँ,
सुढियायल काजो बिगड़ि जायत ।।
सब समस्या केर निश्चय
समाधानो रहय संगहिं ।
मुदा जँ संकल्प दृढ़तम
समाधानो भेटत तखनहिं ।।
कर्म पर आस्था, स्वयं पर -
आस सभतरि काज आयत ।
विघ्न केहनो रहत तैयो
कोनो रस्ता भेटि जायत ।।
तएँ धरी दूरे नकारा,
सकारा पालल करी ।
इष्ट पर बिसबास राखी,
धर्म केर पालन करी ।।
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Monday, August 28, 2023
काज तेहने करी जे मुइलो पर लोक याद करय
होइछ विदा जखने क्यो जग सँ,
फेकल जाइछ हुनक सब पहिरन ।
गेरुआ चद्दरि सीरक कम्मल
गमछा डोपटा पनही अचकन ।।
क्यो नहि फेकय ढ़उआ-कौड़ी,
सोना-चानी लेल लड़य सब ।
महल-अटारी गाड़ी-घोड़ा,
हीरा-मोती लेल लड़य सब ।।
बूझि लिय' अछि महतु कथी केर,
हार-गरदनिक क्यो नहि त्यागत ।
भरल तिजौरी के सब नगदी,
झटपट लूटि लोक सब भागत ।।
लूटत सबटा बस्तु-जात सब,
किछुओ नहि रहि पायत बाँचल ।
दान-पुण्य सँ अरजल जे अछि,
सैह मात्र रहि जायत बाँचल ।।
माथक केस जरै अछि तृण सम,
काठक सम हड्डी जरि जायत ।
सुन्दर गात जरत तूरक सम,
वस्तु कथू संगमे नहि जायत ।।
शास्त्रक ज्ञान- "कियो नहि ककरो",
व्यवहारो मे देखा देलक अछि ।
छोड़ाक' खोंइचा नग्न सत्य के,
आबि करोना सिखा देलक अछि ।।
ख्याति बचय ककरो नहि धन सँ,
कीर्तिक कारण नाम रहय ।
काज करी तैं तेहने सब क्यो,
मरलो पर सब याद करय ।।
मरलो पर सब याद करय !!!!
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Thursday, August 24, 2023
अपनेसँ हारय सब
सगर दुनियाँ छानि किओ,
सुन्नर खोंता बनौलक ।
सबके पछाड़िक' किओ,
दिग्गज बड़का कहौलक ।।
दिग्गज बड़का कहौलक,
जोश मुदा टूटि गेलै ।
अपनहिं लोक जखन,
ओकरा नै चीन्हि पेलै ।।
कियो नै रहस बूझय,
गजबे अछि हमर दुनियाँ ।
अपने सँ हारय सब,
जीतय भले सगर दुनियाँ ।।
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Wednesday, August 23, 2023
सत्यक साबुन
गन्दगी सँ जगतमे
घिरना देखाबथि सकल जन,
तेल साबुन लगा इत्रें
सुवासित राखथि अपन तन ।
बाह्य यद्यपि स्वच्छ, पर-
अन्तर हुनक कालिख भरल,
किअए ने सत्येक साबुन
लगा राखथि स्वच्छ मन ।।
अध्यात्म के आधार जगमे
स्वच्छ मोने टा रहथि ।
यएह तरणी होइछ जै सँ
मनुज भवसागर तरथि।
यएह बाहर जाय क'
संसार के सर्जन करथि,
स्रोत पर सुस्थिर भेने तँ
स्वयं ई आत्मा बनथि ।।
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Sunday, August 20, 2023
न्यायक नै छूति अछि ।
सबठाँ धृतराष्ट्रे भरल,
न्यायक ने छुइत अछि ।
भीष्म द्रोणों मौन धएने,
दुर्योधनक जुइत अछि ।।
दुर्योधनक जुइत अछि,
कुशासने चीर हरलक ।
कोना लाज बाँचत,
प्रशासने स्वांग रचलक ।।
युवा-भीम उठू झट,
पिशाचे पसरल सबठाँ ।
चीरू छाती ओकर,
दुशासने सबल सबठाँ ।।
------कमलजी------
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भेटल कर अछि दान करक लेल
भेटल कर अछि दान करक लेल,
लेबक लेल अछि ज्ञान ।
लोभ मोह क्रोधे असली रिपु
त्याग करू अभिमान ।।
अपना पर बिसबास,
ने आनक आश हो कहियो ।
मात्र निराशे होयब,
पूर्ण ने काज हो कहियो ।।
कत्तहु भेटत घिरना,
कत्तहु वर्षा स्नेहक ।
सम भावे थिक उत्तम,
ध्यान धरू जगदीशक ।।
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Saturday, August 19, 2023
राम तोरे आसरय
राम बिन ककरो ने गति अछि,
राम मम दाता-शरण ।
राम कलिकेर दोष नाशक,
रामके हम्मर नमन ।
रामसँ भय खाथि कालो,
सकल जगते राममय ।
राममे हो भक्ति अविचल,
राम तोरे आसरय ।।
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Thursday, August 17, 2023
आन्तरिक सौंदर्य
लट्टू जुनि होथु कियो,
लखि बाह्य सौंदर्य टा ।
नहि खोलय भीतरक भेद,
दैहिक सौंदर्य टा ।।
दुष्टो सब शुभ्र-शाभ्र,
चेला अछि मूड़ि रहल ।
ओढ़िक' साधुक खोल,
भेड़िया सब घूमि रहल ।।
मोर बड्ड सुन्दर अछि,
नाचय सेहो खूब सुन्दर ।
गहुमन के खाइछ खूब,
भरल छैक जहरि अन्दर ।। ।।
Wednesday, August 16, 2023
दृश् प्रपंचक मूल ईशे
दृश् प्रपंचक मूल ईशे,
वैह जगतक सकल कर्ता ।
स्रोत ओ आनन्द के छथि,
वैह तँ छथि विघ्न-हर्ता ।।
अपना बसमे किछु ने ककरो,
झूठ-मूठके गुड़िया गाँथय ।
जीव सकल कठपुतली जगमे,
जेना नचाबथि तहिना नाचय ।।
जेना ट्रेनमे चढ़िते देरी,
माथक मोटरी सेहो रखै छी ।
सबटा भार दियनु हुनके पर,
व्यर्थक चिन्ता किए करै छी ।
बहुत प्रबल अछि गाल काल केर,
सबके एकदिन निश्चय खायत ।
ईशक हाथ जनिक माथा पर,
कालक भय के दूर भगायत ।।
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Saturday, August 12, 2023
विचारक सर्वोच्चता आ क्रियाके प्रतिबद्धता
सर्वोच्चता हो विचारक,
क्रिया के प्रतिबद्धता ।
ततहिं हो श्री जय विभूति,
सुनीतिक हो शास्वता ।।
सुनीतिक हो शास्वता,
हरिनाम पापक नाशकर्ता ।
स्मरण हर्षक प्रदाता,
ओ थिका त्रय तापहर्ता ।।
प्राप्ति हो सद्ज्ञान के,
आ नष्ट हो सब अज्ञता ।
सकल संशय दूर हो,
आ प्राप्त हो सर्वोच्चता ।।
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Friday, August 11, 2023
सहनशीलता
सहनशील बनू किऐक त' अहूँ मे असंख्य कमी अछि जकरा लोक बरदास्त क' रहल अछि । श्रेष्ठ वैह थिक जे दृढ़ अछि मुदा जिद्दी नहिं, बहादुर अछि मुदा हड़बड़िया नहिं, दयावान् अछि पर कायर-निर्बल नहिं, ज्ञानी अछि पर अहंकारी नहिं, जकरा करुणा छैक मुदा प्रतिशोधक भाव नहिं, जकरा निर्णयक शक्ति छैक मुदा ओ कन्फ्यूज्ड नहिं अछि ।
जँ कियो अहाँक दयालुता, करुणा, प्रेम के अहाँक कायरता बुझैत छथि त' ई हुनकर समस्या छन्हि, अहाँक नहिं ।
Thursday, August 10, 2023
सुप्रभातम्
सुप्रभातम् हे सुहृद!
अहींस' जिनगी रंगीन अछि ।
भोरे-भोर जँ हालचाल नै भेल
जिनगी रंगहीन अछि ।।
भले भेट ने मुलाकात,
मुदा हृदयकेर पुकार,
ने कोनो लोभ आ ने स्वार्थ
मात्र उरकेर उद्गार!!
सुस्वागतम् हे सुहृद!
हमर सौभाग्य अप्रतिम भेल ।
सुहृदक कुशल- समाचार-
भोरे-भोर प्राप्त भेल!!!
छलकैछ उरसँ उद्गार,
खुशीक नै पारावार!
हार्दिक अभिनंदन
हार्दिक आभार!!!!
*🙏🌹*सुप्रभात* 🌹🙏
मोन नहि कखनो खाली
खाली राखब मोन तँ,
भरि जायत शैतान ।
जँ ने रोपल खेत के,
घास-फूस खरिहान ।।
घास-फूस खरिहान,
करी नीके नित चिन्तन ।
व्यर्थ ने मन हो खिन्न,
रही हँसिते सब अनुखन ।।
नीके राखी सोच,
नकारा के जुनि पाली ।
चिन्तन नित अध्यात्म,
मोन नहि कखनो खाली ।
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Tuesday, August 8, 2023
आंतरिक शत्रु थिक असली शत्रु
क्यो ने ककरो मित्र आ ने
शत्रु जन्मे सँ रहय ।
स्वयं के व्यवहार सँ क्यो
दोस्त वा दुश्मन बनय ।।
आंतरिक अछि शत्रु असली
बाह्य रिपु के किछु ने मोजर ।
क्रोध घिरना लोभ लालच
काम मोहे होइछ जोरगर ।।
एके ईश्वर सभक उरमे
आन क्यो नहि रहय जगमे ।
स्वयं सँ के करत घिरना
प्रेम सबसँ रहय जगमे ।।
दोष अप्पन क्यो लखय नहि
मनुखमे बड़का अगुण अछि ।
अपन दोषो के ओ अनके
माथ मढ़बा मे निपुण अछि ।।
अपन जीवन के दुखी-
त्रासद स्वयं अपने बनाबी ।
शत्रु हम्मर दोष अपनहि,
नाम हम अनकर लगाबी ।।
सब जँ अप्पन अवगुणे लखि,
मेटाब' मे लागि जायत ।
गुणे अनकर जँ देखय तँ,
स्वर्ग धरणी के बनायत ।।
स्वर्ग धरणी के बनायत!!!
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Tuesday, August 1, 2023
ईशसँ किछुओ ने माँगू
साधु लग गेले सँ भेटय-
शान्ति मोनक बिना मँगनहिं ।
सेंट बिक्रेता सुवासित-
करय परिसर बिना किननहिं ।।
सरित बिन मंगनहिं प्रदानथि-
वारि, जखनहिं ल'ग जायब ।
ल'ग सद्वृक्षक गेलहिं सँ,
बिना मंगनहिं फ़'ल पायब ।।
बर्फ के नजदीक गेनहिं,
महाशीतलता भेटै अछि ।
अग्नि लग मे जाइत देरी,
लोक गरमाहटि पबै अछि ।।
प्राणवायुक दान अपनहिं-
करै छथि सदिखन पवन ।
लोक के कल्याण खातिर,
धरणि अपनहिं दैछ अन्न ।।
ईश सँ किछुओ ने माँगू,
निकट गेनहिं भेटय सब किछु ।
करू निज कर्तव्य, सबसँ-
प्रेम केनहिं, भेटय सब किछु ।।
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