जाहिमे हम हाथ दै छी
निश्चिते से काज बिगड़य ।
बिना तोहर नाम लेने
काज हम्मर किछु ने सुधरय ।।
भोथ हम हल्लुक समस्यो-
केर हल किछुओ ने सूझय ।
किछुने प्रतिभावान छी हम
बोझ लखि मम माथ घूमय ।।
हे महेश्वर हमर इज्जत
एखन तक तोंही बचेलह ।
लाज मम अहिना बचबिह'
एखन तक जहिना बचेलह ।।
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