Thursday, March 11, 2021

मोन के मारैत रहलौं

 मोन के मारैत रहलौं

नून-रोटी खाइत रहलौं,

इत्र ने श्रृंगार कहियो

रौद मे बौआइत रहलौं ।।


गीत ने संगीत, नहिएँ-

फ़िल्म कहियो देखि सकलहुँ ।

मात्र श्रम के कएल पूजन

चैन सँ कहियो ने रहलहुँ ।।


सोचल होयब बूढ़, तखने-

स'ख़ सबटा पूर कयलेब,

चैन भ' क' गृहस्थी सँ

तीर्थ सबटा टूर कयलेब ।।


उम्र साठिक पार भेल

सब जोड़ दर्दक गेह बनिगेल,

इत्र के ख़ुशबूक बदला

गन्ध आयोडेक्स भरिगेल ।।


कनिक्को ऊर्जा ने बाँचल

स'ख सबटा सेहो मरिगेल,

सुगर, बीपी पस्त केलक

पेट सगरो गैस भरिगेल ।।


दोस्त सबटा छूटि गेल

हँस्सी-ठहक्का घुरि ने आयल,

मोन के लिलसा अपूर्णे

स'ख पूरा क' ने पायल ।।


मनोरथ पूरा कर' सँ

जे अबुझ कतराइत रहता,

बुढापा अयला सँ निश्चय

से मनुज पछताइत रहता ।।


दोस्त सब सँ हीलि मिलि क'

मजा जिनगिक ल' लिय',

बाद मे फुर्सत ने भेटत

मौज सबटा क' लिय' ।

मौज सबटा क' लिय' !!!!

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