दुखिया-सुखिया दू बहिनी छलि,
भेट ने कहियो होइत छलनि ।
सुखिया भागथि जतय कतहु
दुखियाक आगमन होइत छलनि ।।
अनचोकेमे दुनू बहिनके
चौबटिया पर भेट भेलनि ।
मुदित मोन सँ कुशल-क्षेम दुहुँ,
एक-दोसरा सँ पूछि लेलनि ।।
"भाग तोहर बड़ पैघ भेटल छौ"-
बजली बहिनी सँ दुखिया-
"तोरा पाबक लेल लोक सब
सदिखन व्याकुल गे सुखिया ।।"
सुखिया बाजलि-"हम नै, तोहीं-
अतिशय भगवंती छैं जगमे ।
हमरा पबितहिं बिसरि जाइछ सब
प्रभु आ शुभचिंतक पलमे ।।
तों जै घरमे पैर रखै छैं
दैन्य जदपि तै ठाँ पसरय ।
मुदा ने कखनो लोक ओतय के
प्रभु आ अपना के बिसरय ।।"
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