सज्जनक संगति सँ भेटय
बस्तु बहुतो बिना मंगनहि,
वृक्ष फल सरिताक जल
भेटैछ सबके बिना मंगनहिं ।।
बर्फ शीतलता, सुवासित-
करथि पुष्पो ल'ग गेनहि ।
ऊष्णता पाबैछ तुरतहिं
वह्नि के क्यो ल'ग गेनहिं ।।
पाबि जायत ज्ञान सब क्यो
गुरुक लगमे बैसि गेनहिं ।
कृपा सब क्यो पाबि जायत
ईश के सन्निकट गेनहिं ।।
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