Thursday, March 11, 2021

समय बहुत बलवान

 समय बहुत बलवान

सबदिन लोक बजै अछि ।

लाखपति जँ दहिन, बाम- 

तँ खाक करै अछि ।।


अतिथि थिका सुख-दुःख

आबथि आर पड़ाइथ ।

अविचल जे दूहू मे

असली वीर कहाइथ ।।


अपूर्णे जिनगी तनिक

दूहूँक जे अनुभव ने केलनि ।

से थिका लप्पा-छहरिया

बोझ पिरथी के बढेलनि ।।


समय हुनके नीक जे

अधलाह ककरो ने सोचथि ।

सतत जे सद्कर्म मे रत

अलिप्तेँ धरणी के भोगथि ।।


समय हुनके नीक, पर-

उपकार मे जे रहथि पागल ।

काव्य-शास्त्रक विनोदे मे

सद्पुरुष से रहथि लागल ।।


समय अछि अधलाह तिनकर

सतत व्यसने मे जे लागल ।

कलह, निद्रा मे डुबल जे

बोझ भू पर से अभागल ।।


व्यर्थ नै जिनगी गमाबी

सूर्य सेहो देखू ढलि गेल ।

अकारथ मे अमुल जीवन

केर एक दिन फेर चलि गेल ।।

अकारथ.......... !!!!!

*********कमलजी*********

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