Thursday, February 8, 2024

प्रेमक डोइर

ध्यान दी मजगूत डोरी- प्रेम के नहिं टूटि पाबय । नहिं जुटय, गिट्ठ' पड़य, जँ फेर सँ ओ जूटि पाबय ।। जँ फेर सँ ओ जूटि पाबय, स्नेह सँ गिट्ठ' मेटाबी । हाथ सँ जँ भ' सकय तँ, किमपि नहिं कैंची चलाबी ।। व्यक्ति जँ हो श्रेष्ठ तँ कटु बात पर नै ध्यान दी । मुदा जँ हो नीच तँ, तै- व्यक्ति पर नै ध्यान दी । **********************

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