त्याग नमता प्रेम सबसँ,
सबकियो नै क' सकै अछि ।
बीज नैसर्गिक गुणक तँ
पूर्व जन्मे सँ पड़ै अछि ।।
ईश पर बिसबास क' क'
करी निज कर्तव्य सबटा ।
जएह हमरा लेल उत्तम
सएह हमरा लेल करता ।।
मात्र जन्मे मनुखमे भेल,
तएँ ने सबके मनुख बूझी ।
मनुखता जिनकामे भेटय,
असल तिनके मनुख बूझी ।।
आँखि मुनिक' जे कियो
बिसबास सबपर क' लेता ।
बान्हि लीय' कसिक' गिट्ठ',
एकदिन खत्ता खेता ।।
ओढ़ि मानव खाल बहुतो
भेड़िया नित रहय उद्यत ।
नम्रता शिशुता सजनता
देखितहिं धरिक' दबोचत ।।
मौन मुस्की पुष्पसँ
पूजन सकल अभ्यागतक ।
मौन थिक रक्षा कवच तँ
द्वार मुस्की स्वागतक ।।
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