Monday, February 26, 2024

मुस्की थिक स्वागतक द्वार

त्याग नमता प्रेम सबसँ, सबकियो नै क' सकै अछि । बीज नैसर्गिक गुणक तँ पूर्व जन्मे सँ पड़ै अछि ।। ईश पर बिसबास क' क' करी निज कर्तव्य सबटा । जएह हमरा लेल उत्तम सएह हमरा लेल करता ।। मात्र जन्मे मनुखमे भेल, तएँ ने सबके मनुख बूझी । मनुखता जिनकामे भेटय, असल तिनके मनुख बूझी ।। आँखि मुनिक' जे कियो बिसबास सबपर क' लेता । बान्हि लीय' कसिक' गिट्ठ', एकदिन खत्ता खेता ।। ओढ़ि मानव खाल बहुतो भेड़िया नित रहय उद्यत । नम्रता शिशुता सजनता देखितहिं धरिक' दबोचत ।। मौन मुस्की पुष्पसँ पूजन सकल अभ्यागतक । मौन थिक रक्षा कवच तँ द्वार मुस्की स्वागतक ।। ************************

No comments:

Post a Comment