Saturday, February 3, 2024

जेहन करता तेहन भोगता ।

अदृश शक्तिक डाङ् कसगर, मुदा देखबामे ने आबय । डाङ् पड़ितो किछु फरक नै, पुनः पापे नीक लागय ।। करथि गणना सभक कृत्यक, फलो तहिना भोग' पड़तै। बबूरक जे गाछ रोपतै, आम तैमे कोना फड़तै ।। जानिक' बइमान सब तँ, लोभमे गै गीर लै अछि । मुदा भोगनाहर ने बाँचय, दैव के से दोख दै अछि ।। जे करत गलती जरूरे, पापके से भोग भोगता । कर्मफल सिद्धांत अविचल, जेहन करता तेहन भोगता ।। **************************

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