Monday, February 5, 2024

धैर्य

साधनाके कार्यमे, कहियो ने समुचित हड़बड़ी । जँ ने सुस्थिर चित्त राखब, हएत अतिशय गड़बड़ी ।। हएत अतिशय गड़बड़ी, नै धैर्यके कहियो तजी । धैर्ययुत छथि वीर हुनका, जुनि कियो कायर बुझी ।। नओ मासमे गर्भस्थ शिशु, परिपक्व भ' निकलैछ जहिना । चित्तके सुस्थिर भेनहि परिपक्व हो सब साधना ।।

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