मात-पित छथि तीर्थराजे
व्यर्थ जुनि बौखल करू ।
हुनक पूजन आर सेवा
अहर्निश लागल रहू ।।
घुमि रहल अछि तीर्थमे
पर मोन अन्यत्रे घुमै छै ।
घरेमे सब तीर्थ रहितो
व्यर्थ श्रम खर्चा करै छै ।।
थिका सज्जन तीर्थ सद्यः
दर्शने सँ पुण्य भेटय ।
तीर्थ के फलमे हो देरी
सज्जनक फल तुरत भेटय ।।
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