
Thursday, February 13, 2025
दादाजी के संस्मरण (f) :-
हमलोग जब फाइनल ईयर में थे तो अनगिनत स्मरणीय इवेंट हुए जिनका उल्लेख करना समुचित होगा । उस समय फाइनल ईयर के छात्र ऑल इंडिया टूर पर जाते थे । लेकिन हमलोग नहीं जा सके उसका कारण एक घटना था । सेशन लेट रहने के कारण हमारे सेनीयर बैच के छात्र भी फाइनल ईयर मे ही थे । वे लोग ऑल इंडिया टूर पर गए । रेलवे से कॉलेज प्रशासन द्वारा एक बोगी रिजर्व कराया गया था । टूर के लिए जिन-जिन जगहों को निर्धारित किया गया था, वहाँ के लिए चलनेवाली ट्रेनों मे उक्त बोगी को जोड़ दिया जाता था । कई जगह घूमने के बाद छात्रों की बोगी कोलकाता(कलकत्ता) पहुँची । बिहार,बंगाल,यू पी. .. आदि कुछ राज्यों के लोग रेलवे आरक्षण या रिजर्व बोगी को को अधिक महत्व नहीं देते हैं । आज भी परीक्षा के समय या कुछ पर्व-त्योहारों के अवसर पर जहाँ जगह मिली लोग घुस जाते हैं, पुलिस असहाय की तरह मूकदर्शक बनी रहती है । कई बार तो आरक्षणवाले लोग चढ़ भी नहीं पाते हैं, अगर चढ़ भी गए तो अपनी जगह तक पहुँच भी नहीं पाते है । मैं स्वयं कई अवसरों पर इसका भुक्तभोगी रह चुका हूँ । जब इनलोगों की बोगी कलकत्ता पहुँची तो बहुत सारे छात्र प्लेटफ़ॉर्म पर चाय-पान के लिए उतर गए । ट्रेन खुलने के समय छात्रगण अपने डिब्बे में पहुँचे । आरक्षित डिब्बे में खाली सीटों पर लोग बैठ गए थे । छात्रों ने बाहरी लोगों को सीट खाली करने को कहा लेकिन वे कहाँ माननेवाले थे । उनलोगों को क्या पता कि पूरी बोगी में एक ही इंस्टीचूषण के छात्र बैठे हैं ! वे लोग स्वभाववश मारपीट करने लगे । लेकिन बोगी में तो एक ही तरह के सैकड़ों युवा थे, जिनसे धनबाद जिला भर के लोग डरे रहते थे । ये लोग तो भूत की तरह ऐसे अवसर खोजते रहते थे । हड्डों के झुंड को जैसे किसी ने जगा दिया । सभी बाहरी लोगों को मारपीट कर भगा दिया गया । उसका रिजल्ट यह हुआ कि सभी बंगला में चिल्लाने लगे और पूरे प्लेटफ़ॉर्म के लोग रिजर्व बोगी के पास आ गए । गेट बंद था तो लोगों ने खिड़की से घुसकर सबको पीटना शुरू किया । पुलिस मूकदर्शक बनी रही । जो टीचर साथ मे गए थे उन्होंने डायरेक्टर साहब को फोन किया । डायरेक्टर साहब के निर्देश पर सभी घायल छात्रों को लेकर साथ के शिक्षक सिंदरी लौट आए । इसका फल ये हुआ कि हमलोगों का ऑल इंडिया टूर कैंसिल हो गया ।
बाद में हमलोग अपने ब्रांच के लोगों के साथ निर्माणाधीन महात्मा गाँधी सेतु देखने पटना गए । हमारे विभागाध्यक्ष डॉ0 बी. पी. सिन्हा और एक अन्य प्राध्यापक हमारे साथ थे । डॉ0 सिन्हा जीनियस शिक्षक थे । उन्होंने दुनियाँ में प्रख्यात अभियंत्रण संस्थान मेसेचुसेट्स, अमेरिका से पी. एच. डी. किया था । बाद के दिनों मे उन्हें बी. आइ. टी., सिंदरी का निदेशक, बिहार राज्य निर्माण निगम का प्रबंध निदेशक एवं चेयरमैन, डायरेक्टर साइंस एंड टेक्नोलॉजी.. आदि बनाया गया. उनके एक मित्र इं0 अचिंत कुमार लाल उस समय अधीक्षण अभियंता थे जो महात्मा गाँधी सेतु के प्रभार मे थे । हमलोगों को गंगा ब्रिज गेस्ट हाउस में अंटकाया गया था । गंगा ब्रिज के संवेदक गैमन्स इंडिया लिमिटेड ने हमलोगों का बहुत स्वागत किया । चाय-कॉफी, स्पेशल नाश्ता, डेलीसस लंच, डिनर .. आदि काफी प्रशंसनीय थे । उस समय प्रीस्ट्रेस कंक्रीट बिहार के लिए बिल्कुल नया तकनीक कहना चाहिए । उससे पहले शायद ही बिहार के किसी प्रोजेक्ट में इस तकनीक का इस्तेमाल हुआ था । हमलोगों ने थ्योरी तो जरूर पढ़ा था लेकिन स्थल पर व्यावहारिक रूप से उसे देखने का मौका मिला । गंगा ब्रिज के सभी गर्डर प्रीस्ट्रेस्ड डबल कैंटीलीभर तकनीक पर बनाए गए थे । हालाँकि जो भी कारण रहा हो, बाद के दिनों में हेभी ट्रैफिक और अत्यधिक इंपैक्ट के कारण डबल कैंटीलीवर तकनीक असफल साबित हुआ । अनवरत मेन्टीनेंस से आजीज आकर लगभग तीस साल में ही सुपर स्ट्रक्चर को डबल कैंटीलीवर कन्क्रीट स्ट्रक्चर से बदल कर स्टील स्ट्रक्चर मे कन्वर्ट करना पड़ा । खैर ये सब बातें तो फ्यूचर में घटीं, हमलोगों के लिए शैक्षणिक एवं पर्यटन की दृष्टि से उस ट्रिप का आनंद वर्णनातीत था ।
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